सहजन (Drumstick) का शास्त्रीय स्वरूप


सहजन का वानस्पतिक नाम मोरिंगा है जिसकी अनेक प्रजातियां हैं. यह भारत के अलावा अन्य उष्णकटिबंधीय प्रदेशों जैसे फिलीपींस, मलेशिया, मेक्सिको, अफ्रीका इत्यादि देशो में भी पाया जाता है. भारत के हर प्रांत में यह खाया जाता है. खासकर दक्षिण में बनने वाले ’सांभर’ की कल्पना बिना सहजन के की ही नहीं जा सकती. इसमें पोषक तत्वों के साथ ही कई औषधीय गुण भी हैं.


आयुर्वेद, सुश्रुत संहिता, अग्नि पुराण इत्यादि में लिखा है कि सहजन पेड़ का प्रत्येक भाग उपयोगी है. स्वयं हमारे प्रधानमंत्री मोरिंगा के पत्तों का थेपला या पराठा बनवाते हैं. बुखार के बाद आई कमजोरी को दूर करने के लिए सहजन का सूप पिलाने की बात कई घरों में प्रचलित है. प्राचीन आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी इसकी पर्याप्त चर्चा की गई है. तो चलिए इसके शास्त्रीय स्वरूप पर दृष्टि डालते हैं. सहजन 10 मुख्य रोगों को ठीक कर सकता है-



  1. विद्रधि की गांठ का इलाज: अग्नि पुराण 283.22 अनुसार हरे सहजन, करंज, आक, दालचीनी, पुनर्नवा, सोंठ और सैन्धव. इनका गोमूत्र के साथ योग करके लेप किया जाए तो यह विद्रधि की गांठ को पकाने के लिए उत्तम उपाय है.  

  2. शोथ रोग (Inflammatory disease):अग्नि पुराण 285.32 अनुसार दशमूल, गिलोय, हर्र, दारुहल्दी, गदहपूर्णा, सहजन और सोंठ ज्वर, विद्रधि तथा शोथ-रोगों में हितकर है. 

  3. कान का रोग: सुश्रुत संहिता (Volume 6 Uttara Tantra Part 1 Chapter 11) के अनुसार सहजन कान के रोगों को दूर करता है.

  4. श्लेष्मा नेत्ररोग (Shleshma Ophthalmia): सुश्रुत संहिता (Volume 6 Uttara Tantra Part 1 Chapter XXI) के अनुसार, सहजन श्लेष्मा नेत्ररोग को दूर करने में सहायक होता है.

  5. सर का रोग : सुश्रुत संहिता (Volume 6 Uttara Tantra Part 1 Chapter XXV) के अनुसार, सहजन सर का रोग दूर करने में सहायक होता हैं.

  6. पीलिया (Jaundice) का रोग:  सुश्रुत संहिता (Volume 6 Uttara Tantra Part 1 Chapter XIV) अनुसार, सहजन पीलिया का रोग दूर करने में सहायक होता है.

  7. सांप का काटना:  सुश्रुत संहिता (Volume 5 Kalpasthana Chapter 5) अनुसार, सहजन उस व्यक्ति को ठीक कर सकता है जिसे सांप ने काट लिया है.

  8. कीड़े का काटना: सुश्रुत संहिता (Volume 8 Kalpasthana Chapter 8) के अनुसार, सहजन उस व्यक्ति को ठीक कर सकता है जिसे कीड़े ने काटा हों.

  9. ट्यूमर: सुश्रुत संहिता (Volume 4 Cikitsasthana Chapter XVI) के अनुसार, सहजन उस व्यक्ति को ठीक कर सकता है जिसे ट्यूमर हो.

  10. गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी: सुश्रुत संहिता (Volume 3 Sharirasthana Chapter 10) के अनुसार, सहजन गर्भवती महिलाओं के लिए लाभकारी है.


महान आयुर्वेदिक प्रणेता महर्षि सुश्रुत (Sushruta) ने अपने विश्व प्रसिद्ध ग्रंथ ‘सुश्रुतसंहिता’ में इसकी चर्चा शिशु रोगों के संदर्भ में करते हुए इसके पुष्प से श्रावित होने वाले अमृत तुल्य रस का वर्णन कर उसे मधुपालन के लिए उपयोगी बताया है.


आयुर्वेदिक चिकित्सकों के अनुसार, सहजन लगभग 300 से अधिक बिमारियों के इलाज में उपयोगी है. भारत और अफ्रीका में प्राचीन काल से ही मोरिंगा का उपयोग हर्बल चिकित्सा में किया जाता रहा है. भारत में कहीं सहजन, तो कहीं शेगवा कहीं भुनगा कहीं सरगवा का सेंग के नाम से जाना जाता है. नारियल की तरह इस पेड़ का प्रत्येक भाग उपयोग में लाया जाता है. इसके पत्ते, फूल, फल छाल जड़, सभी हमारे शरीर के लिए उपयोगी हैं. इसके फल और फूल का बहुतेरा उपयोग तो हम अपने रसोई में करते हैं. लेकिन आपको हैरानी होगी यह जानकर कि इसकी छाल, बीज और नई जड़ आयुर्वेद की दृष्टि से लाभकारी है. इसके बीज अथवा जड़ को पीसकर दर्द वाले स्थान पर लेप लगाने से आराम मिलता है.



  • मांसपेशीयों की मजबूती के लिए यह उपयोगी है. इसमें प्रोटीन और अन्य महत्वपूर्ण पोषक तत्व होते हैं, जो शारीरिक मजबूती में सहायक होते हैं और मांसपेशियों को मजबूती प्रदान करते हैं.

  • यह शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को भी बढ़ाता है. मोरिंगा इम्यून सिस्टम को मजबूती प्रदान करता है, जिससे विभिन्न रोगों और संक्रमण से लड़ने की क्षमता बढ़ती है.

  • हड्डियों की मजबूती को बढ़ाता है. मोरिंगा में कैल्शियम और फॉस्फोरस अधिक मात्रा में होते हैं, जो हड्डियों के लिए महत्वपूर्ण होते हैं.

  • स्ट्रेस और चिंता से राहत देता है. मोरिंगा तनाव और चिंता को कम करने में मदद करता है और मानसिक स्थिति को सुधारता है.

  • डायबिटीज के मरीज भी इससे राहत पा सकते हैं. यह रक्त शर्करा के स्तर को नियंत्रित करने में मदद करता है, जिससे डायबिटीज के प्रभाव को कम किया जा सकता है.

  • आयुर्वेद में सबसे लाभदायक, गिलोई और आंवला को माना जाता हैं. मेरे विचार में गिलोई और आवंला के बाद सहजन का ही स्थान आता है.

  • सहजन ग्रहों की बाधा भी दूर करता है: अग्नि पुराण (300.27-30)  अनुसार, सिन्धु (सेंधा नमक), व्योष (त्रिकटु) - इन औषधों को पृथक् पृथक् एक-एक पल लेकर उन्हें बकरी के एक आढ़क दूध में पका लें और उस दूध से घी निकाल लें. वह घी समस्त ग्रह बाधाओं को हर लेता है.


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