Diwali (Mahalaxmi Pujan) Muhurat 2025: हिंदू धर्म में दीपावली का पर्व बहुत महत्व रखता है. इस दिन विशेष रूप से माता महालक्ष्मी की पूजा की जाती है. शास्त्रों में स्पष्ट कहा गया है कि जिस दिन अमावस्या तिथि प्रदोषकाल यानी सूर्यास्त के समय विद्यमान हो, उसी दिन महालक्ष्मी पूजन करना उचित होता है.

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तिथियों का विवरण: कार्तिक कृष्ण चतुर्दशी 20 अक्तूबर 2025 को दोपहर 3 बजकर 45 मिनट पर समाप्त हो जाएगी. उसके बाद अमावस्या तिथि शुरू होगी. यह अमावस्या अगले दिन यानी 21 अक्तूबर 2025 को शाम 5 बजकर 55 मिनट तक रहेगी. इसका अर्थ है कि सूर्यास्त के समय अमावस्या विद्यमान रहेगी. साथ ही, यह अवधि 10 घंटे 30 मिनट (साढ़े तीन प्रहर) से अधिक तक फैली रहेगी. अगले दिन प्रतिपदा भी लंबी अवधि तक रहेगी, इसलिए शास्त्रों के अनुसार 21 अक्तूबर को ही दीपावली और महालक्ष्मी पूजन श्रेष्ठ रहेगा.

शास्त्रीय आधार: धर्मसिन्धु, पुरुषार्थ-चिन्तामणि और नित्यनिर्णय जैसे ग्रंथों में यही नियम बताए गए हैं कि जब अमावस्या प्रदोषकाल और रात में हो, तो पूजन उसी दिन किया जाए. इसलिए 21 अक्तूबर 2025, मंगलवार को महालक्ष्मी पूजन सर्वमान्य है.

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क्षेत्रवार निर्णय: 

  • उत्तर भारत (दिल्ली, पंजाब, उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार आदि) – यहां सूर्यास्त लगभग 5:45 बजे के आसपास होगा और उस समय अमावस्या तिथि विद्यमान होगी.

  • पश्चिम भारत (राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, केरल आदि) – यहां सूर्यास्त लगभग 5:55 बजे के आसपास होगा और वहाँ भी अमावस्या प्रदोषकाल तक रहेगी.

पूजन का समय: प्रदोषकाल सूर्यास्त से 24 मिनट पहले से लेकर सूर्यास्त के लगभग ढाई घंटे बाद तक होता है. इस अनुसार 21 अक्तूबर 2025 को शाम 5:15 बजे से 8:19 बजे तक महालक्ष्मी पूजन करना सबसे उत्तम होगा. इस प्रकार, सभी शास्त्रीय मतों और पंचांगों के अनुसार 21 अक्तूबर 2025 को ही दीपावली और महालक्ष्मी पूजन प्रदोषकाल में करना चाहिए.

Disclaimer: यहां मुहैया सूचना सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. यहां यह बताना जरूरी है कि ABPLive.com किसी भी तरह की मान्यता, जानकारी की पुष्टि नहीं करता है. किसी भी जानकारी या मान्यता को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह लें.