Diwali 2021: हिंदू पंचाग के अनुसार दिवाली कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की अमावस्या को मनाई जाती है. इस साल ये पर्व 4 नवंबर 2021 को देशभर में बड़े धूम-धाम से मनाया जाएगा. हर धर्म में दिवाली का अपना विशेष महत्व है. इस दिन लक्ष्मी जी की पूजा की जाती है. दिवाली का पर्व सुख-समृद्धि और वैभव का प्रतीक है. मान्यता है कि दिवाली पर लक्ष्मी जी का पूजन करने और उनकी पूजा-अर्चना करने से जीवन में यश-वैभव बना रहता है और जीवन में धन की कमी दूर हो जाती है. मान्यता है कि अगर दिवाली का पूजन शुभ मुहूर्त में किया जाए, तो वे अधिक लाभदायी होता है. ऐसे में हर कोई लक्ष्मी-गणेश का पूजन (laxmi-ganesha pujan) के शुभ मुहूर्त में ही करना चाहता है. तो आइए डालते हैं एक नजर विभिन्न राज्यों के शुभ मुहूर्त पर-


दिवाली पूजन शुर्भ मुहूर्त समय (Diwali Shubh Muhrat )


06:39 पी एम से 08:32 पी एम - पुणे
06:09 पी एम से 08:04 पी एम - नई दिल्ली
06:21 पी एम से 08:10 पी एम - चेन्नई
06:17 पी एम से 08:14 पी एम - जयपुर
06:22 पी एम से 08:14 पी एम - हैदराबाद
06:10 पी एम से 08:05 पी एम - गुरुग्राम
06:07 पी एम से 08:01 पी एम - चण्डीगढ़
05:34 पी एम से 07:31 पी एम - कोलकाता
06:42 पी एम से 08:35 पी एम - मुम्बई
06:32 पी एम से 08:21 पी एम - बेंगलूरु
06:37 पी एम से 08:33 पी एम - अहमदाबाद
06:08 पी एम से 08:04 पी एम - नोएडा


04 नवंबर 2021 पंचांग (Panchang 04 November 2021)
विक्रमी संवत्: 2078
मास पूर्णिमांत: कार्तिक
पक्ष: कृष्ण
दिन: गुरूवार
तिथि: अमावस्या - 26:47:01 तक
नक्षत्र: चित्रा - 07:43:36 तक, स्वाति - 29:08:30 तक
करण: चतुष्पाद - 16:28:29 तक, नाग - 26:47:01 तक
योग: हर्शण - 25:12:00 तक
सूर्योदय: 06:34:53 AM
सूर्यास्त: 17:34:09 PM
चन्द्रमा: तुला राशि
द्रिक ऋतु: वर्षा
राहुकाल: 13:26:56 से 14:49:20 तक (इस काल में कोई भी शुभ कार्य नहीं किया जाता है)
शुभ मुहूर्त का समय, अभिजीत मुहूर्त - 11:42:32 से 12:26:30 तक
दिशा शूल: दक्षिण
अशुभ मुहूर्त का समय -
दुष्टमुहूर्त: 10:14:38 से 10:58:35 तक, 14:38:21 से 15:22:18 तक
कुलिक: 10:14:38 से 10:58:35 तक
कालवेला / अर्द्धयाम: 16:06:15 से 16:50:12 तक
यमघण्ट: 07:18:50 से 08:02:47 तक
कंटक: 14:38:21 से 15:22:18 तक
यमगण्ड: 06:34:53 से 07:57:17 तक
गुलिक काल: 09:19:42 से 10:42:06 तक


लक्ष्मी पूजन की विधि (Diwali 2021 Lakshmi Pujan)
दिवाली पर सिर्फ शुभ मुहूर्त के हिसाब से पूजन करना ही काफी नहीं होता, बल्कि पूजन की विधि भी ठीक होनी चाहिए. मान्यता है कि विधि पूर्वक की गई पूजा का ही लाभ मिलता है. इस वर्ष दिवाली पर्व प्रदोषयुक्त अमावस्या तिथि और स्थिर लग्न और स्थिर नवांश है. शास्त्रों के अनुसार इन मुहूर्त में लक्ष्मी जी का पूजन (laxmi pujan shubh muhrat)करना शुभ माना गया है. इस दिन सवेरे उठकर स्नान करने के बाद साफ कपड़े पहन लें और पूरे मन के साथ पूजा अर्चना करनी चाहिए. पूजन के बाद लक्ष्मी जी और गणेश जी की आरती और मंत्रों का जाप करना चाहिए. इस दिन किए गए दान का भी विशेष महत्व बताया गया है.