Dhanteras 2024: दीपावली पांच दिवसीय पर्व है, जिसकी शुरुआत धनतेरस के दिन से ही होती है. धनतेरस को धनत्रयोदशी भी कहा जाता है. धनतेरस के दिन मां लक्ष्मी (Maa Laxmi) और कुबेर देव (Kuber Dev) की पूजा की जाती है. साथ ही इस दिन धन्वंतरि (dhanvantari) की भी पूजा का महत्व है.

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पंचांग (Panchang) के अनुसार कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि को धनतेरस का त्योहार मनाया जाता है. इस दिन लोग अपने सामार्थ्यनुसार किसी न किसी वस्तु की खरीदारी जरूर करते हैं. इस साल धनतेरस का पर्व 29 अक्टूबर को मनाया जाएगा और दिवाली (Diwali 2024) 31 अक्टूबर को होगी.

कौन हैं धन्वंतरि (Who is Dhanvantari)

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धार्मिक ग्रंथों के अनुसार धन्वंतरि की उत्पत्ति समुद्र मंथन (Samudra Manthan) के दौरान हुई थी. पौराणिक कथा के अनुसार जिस अमृत कलश के लिए समुद्र मंथन किया गया था, उसे धन्वंतरि ही लेकर बाहर निकले थे. इन्हें आयुर्वेद का प्रणेता और चिकित्सा क्षेत्र में देवताओं के वैद्य के रूप में जाना जाता है. इसलिए धन्वंतरि आरोग्यता प्रदान करने वाले देवता माने जाते हैं. मान्यता है कि इनकी पूजा से रोगों से मुक्ति मिलती है और आयोग्यता की प्राप्ति होती है. अब प्रश्न यह उठता है कि धन्वंतरि जब आयोग्य प्रदान करने वाले देवता हैं तो धनतेरस के दिन इनकी पूजा क्यों होती है.

धनतेरस के दिन क्यों ही है धन्वंतरि की पूजा

पौराणिक कथा के अनुसार अमृत कलश के लिए देवताओं और दानवों के बीच में समुद्र मंथन किया गया था. समुद्र मंथन से एक-एक कर पूरे 14 रत्न बाहर निकले थे, जिसमें सबसे आखिर में अमृत कलश निकला था, जिसे धन्वंतरि लेकर प्रकट हुए थे. जिस दिन धन्वंतरि अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे वह कार्तिक शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी का दिन था. इसलिए धनतेरस के दिन इनकी पूजा की जाती है. इस तिथि में प्रकट होने के कारण धनतेरस के दिन को धन्वंतरि त्रयोदशी या धन्वंतरि जयंती के रूप में भी मनाया जाता है.

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