जुलाई 2021 का महीना धार्मिक दृष्टि अति महत्वपूर्ण है. 25 जून, शुक्रवार से आषाढ़ मास का आरंभ हो रहा है. आषाढ़ मास का समापन 24 जुलाई को होगा. आषाढ़ मास में ही चातुर्मास शुरू होंगे. चातुर्मास में मांगलिक और शुभ कार्य नहीं किए जाते हैं.
पंचांग के अनुसार आषाढ़ मास में चंद्रमा पूर्वाषाढ़ा और उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में गोचर करता है. इसलिए इस मास को आषाढ़ कहा जाता है. आषाढ़ मास की एकादशी तिथियों का विशेष महत्व बताया गया है. आषाढ़ मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को योगिनी एकादशी और शुक्ल पक्ष की एकादशी को देवशयनी एकादशी के नाम से जाना जाता है. देवशयनी एकादशी से चातुर्मास आरंभ होगा.
20 जुलाई 2021 से आरंभ होगा चातुर्मासपंचांग के अनुसार 20 जुलाई, मंगलवार को आषाढ़ मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि से चातुर्मास शुरू होगा. इस एकादशी से भगवान विष्णु विश्राम की अवस्था में आ जाते हैं. 14 नवंबर 2021 को देवोत्थान एकादशी पर विष्णु भगवान विश्राम काल पूर्ण कर क्षिर सागर बाहर आकर पृथ्वी की बागड़ोर अपने हाथों में लेते हैं.
चातुर्मास में वर्जित कार्यचातुर्मास चार माह का होता है. चातुर्मास आषाढ़ शुक्ल एकादशी से कार्तिक मास की शुक्ल एकादशी तिथि माना जाता है. इस दौरान श्रावण, भाद्रपद, आश्विन और कार्तिक मास को चातुर्मास कहा जाता है. चातुर्मास के अंर्तगत आषाढ़ मास के 15 और कार्तिक मास के 15 दिनों को शामिल किया जाता है. चातुर्मास में इन कार्यों को नहीं किया जाता है-
- विवाह संस्कार
- जातकर्म संस्कार
- गृह प्रवेश
- मुंडन
- सोलह संस्कार
भगवान शिव पृथ्वी का करते हैं भ्रमणचातुर्मास के बारे में ऐसा माना जाता है कि जब भगवान विष्णु क्षिर सागर में विश्राम करने जाते हैं तो पृथ्वी की समस्त जिम्मेदारियों को भगवान शिव को सौंप देते हैं. इसीलिए चातुर्मास में सावन का विशेष महत्व बताया गया है. सावन के महीने में भगवान शिव माता पार्वती के साथ पृथ्वी का भ्रमण करते हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करते हैं.