29 नवंबर को देव दिवाली मनाई जाएगी. इस दिन काशी में दीप जलाने कसी परंपरा है. जो सालों से चली आ रही है. साथ ही देव दिवाली के दिन दीप दान का भी काफी महत्व होता है. इस दिन का विशेष महत्व पुराणों में बताया गया है. कहते हैं इस दिन देवता पृथ्वीलोक पर आकर दिवाली मनाते हैं. 


क्या है दीपदान का महत्व


देव दिवाली की शाम को दीप दान विशेष रूप से करना शुभ फलदायी माना गया है. खासतौर से मंदिरों में. इस दिन मंदिरों में दीपदान करना चाहिए. इससे शुभ फलों की प्राप्ति होती है. देव  दिवाली कार्तिक मास की पूर्णिमा के दिन मनाई जाती है. इस बार पूर्णिमा तिथि रविवार यानि कि 29 नवंबर को दोपहर 12.30 से ही शुरु हो जाएगी और सोमवार को 2.25 बजे तक ही रहेगी. लिहाज़ा देव दिवाली का पर्व कल ही मनाया जाएगा.


मिट्टी के दीयों का करें दान


मिट्टी के दीयों का दान करना इस दिन विशेष फलदायी माना गया है. इस दिन दीयों के दान से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं, और जीवन में खुशहाली आती है. सुख समृद्धि आती है. इस दिन मंदिर, पीपल के पेड़, तालाब या फिर चौराहों पर दीप दान किया जा सकता है. लेकिन मंदिर में दीपदान सर्वोपरि माना गया है.लेकिन ध्यान रखें खाली दीयों का दान नहीं होता. दीये में घी डाले और फिर दीपदान करना चाहिए. 
काशी में उतरे थे देव


पुराणों में ज़िक्र है कि इस दिन काशी से देवता स्वयं पृथ्वीलोक पर उतरे थे और खूब जश्न मनाया था. इसके पीछे भी एक कारण था. कहते हैं कि देवता जब त्रिपुरासुर नाम के राक्षस से परेशान हो ग तो उन्होंने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वो उन्हें उस राक्षस के प्रकोप से बचाए. जिसके बाद भगवान शिव ने उस राक्षस का वध किया जिससे देवता काफी प्रसन्न हो गए. और वो शिव की नगरी काशी पहुंचे और हर ओर दीप जलाए गए. आज भी यह परंपरा यहां कायम है कार्तिक मास की पूर्णिमा पर आज भी यहां दीप जलाकर देव दिवाली मनाई जाती है.