छठ पर्व का दूसरा दिन: खरना


आज शनिवार, 18 नवंबर 2023 को छठ पर्व का दूसरा दिन है. इस दिन को खरना या लोहंडा कहा जाता है. आज व्रती एक समय केवल मीठा भोजन करती है और इसके बाद 36 घंचे का निर्जला व्रत शुरू हो जाता है. जानते हैं शास्त्रीय और लोकाचार मान्यताओं के अनुसार छठ पर्व के खरना का महत्व. 


लोकाचार मान्यताओं के अनुसार छठ महापर्व का दूसरा दिन खरना के नाम से जाना जाता है. खर यानी शुद्ध अर्थात इस दिन पुनः शुद्धि और पवित्रता पर जोर दिया गया है. आज के दिन व्रती दिनभर निर्जला व्रत करती है. सुबह से ज्यादा शाम के स्नान का महत्व है. नहाने के बाद व्रती महिलाएं अक्सर बन्द कमरों में उस दिन का प्रसाद बनाती हैं. इस दिन नए मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ अरवा का चावल और दूध से रसियावर या खीर बनती है.


यह खीर ऐसे समय बनती है जब आस पास किसी प्रकार का शोर न हो. व्रती प्रसाद ऐसे समय में खाने के लिए बैठती है जब आस पास कोई न हो औक कोई शोर-शराबा भी न हो. यहां तक कि अगर कुत्ता भी भौंकने लगा तो व्रती को तुरन्त प्रसाद खाना छोड़ देती है. याद रहे इसके बाद अगले 36 घंटे उसे न कुछ खाना है और न पीना. व्रती के प्रसाद ग्रहण करने तो ही खरना कहता है. व्रती के प्रसाद खाने के बाद अन्य लोग भी प्रसाद ग्रहण करते हैं.


छठ पर्व पर एक और लोक गीत शारदा सिन्हा जी द्वारा गाया हुआ:


"पहिले पहिल हम कईनी, छठी मईया व्रत तोहर, छठी मईया व्रत तोहर ||


करिहा क्षमा छठी मईया, भूल-चूक गलती हमार, भूल-चूक गलती हमार ||


गोदी के बलकवा के दिहा, छठी मईया ममता-दुलार, छठी मईया ममता-दुलार ||


पिया के सनईहा बनईहा, मैया दिहा सुख सार, मैया दिहा सुख सार ||


नारियल केरवा घवदवा, साजल नदिया किनार, साजल नदिया किनार ||


सुनिहा अरज छठी मैया, बढ़े कुल परिवार, बढ़े कुल परिवार ||


घाट सजवली मनोहर, मैया तोरा भगती अपार, मैया तोरा भगती अपार ||


लिहि ए अरग हे मैया, दिहीं आशीष हजार, दिहीं आशीष हजार ||


पहिले पहिल हम कईनी, छठीमैया बरत तोहर, छठीमैया व्रत तोहर ||


करिहा क्षमा छठी मईया, भूल-चूक गलती हमार, भूल-चूक गलती हमार, भूल-चूक गलती हमार"।।


ये भी पढ़ें: नहाय-खाय के साथ चार दिवसीय छठ पूजा का आगाज, जानें इस पर्व का शास्त्रीय महत्व और मंगल गीत















[नोट- उपरोक्त दिए गए विचार लेखक के व्यक्तिगत विचार हैं. यह ज़रूरी नहीं है कि एबीपी न्यूज़ ग्रुप इससे सहमत हो. इस लेख से जुड़े सभी दावे या आपत्ति के लिए सिर्फ लेखक ही जिम्मेदार है.]