Chhath Puja 2023 Highlights: नहाय खाय से हुई छठ महापर्व की शुरुआत, कल छठ का दूसरा दिन 'खरना'
Chhath Puja Nahay Khay 2023 Highlights: कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि से छठ महापर्व की शुरुआत होती है. यह पर्व 4 दिनों तक चलता है. इसकी शुरुआत नहाय खाय से होती है. आज इसका पहला दिन है.
एबीपी लाइवLast Updated: 17 Nov 2023 05:42 PM
बैकग्राउंड
Chhath Puja Nahay Khay 2023: चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की आज से शुरुआज हो चुकी है. आज इस महापर्व का पहला दिन है जिसे नहाय खाय कहा...More
Chhath Puja Nahay Khay 2023: चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व की आज से शुरुआज हो चुकी है. आज इस महापर्व का पहला दिन है जिसे नहाय खाय कहा जाता है. सप्तमी तिथि के दिन यानी कि 20 नवंबर को उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत का समापन किया जाएगा. आस्था के इस महापर्व में महिलाएं संतान सुख, उसकी लंबी उम्र और उज्जवल भविष्य की कामना के साथ निर्जला व्रत रखती है. नहाय खाय का अर्थ है स्नान करके भोजन करना. आज के दिन कद्दू-भात यानी चावल खाने का विशेष महत्व होता है. नहाय- खाय की परंपरादीवाली के चौथे दिन यानी कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय- खाय की परंपरा निभाई जाती है. इस दिन कुछ विशेष रीति रिवाजों का पालन करना होता है. इस बार 17 नवंबर से छठ पूजा की शुरुआत होगी. इस दिन घर की सफाई कर उसे शुद्ध किया जाता है. इसके बाद छठव्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करती हैं. नहाय खाय में व्रती सहित परिवार के सभी सदस्य चावल के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल, मूली आदि ग्रहण करते हैं. व्रती के भोजन करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं. नहाय खाय का महत्व दीवाली के चौथे दिन यानी कि कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को नहाय खाए की परंपरा निभाई जाती है. आज के दिन व्रती नदी या तालाब में स्नान कर कच्चे चावल का भात, चनादाल और कद्दू (लौकी या घीया) प्रसाद के रूप में बनाकर ग्रहण करती हैं. इस भोजन को बहुत ही शुद्ध और पवित्र माना जाता है. इस दिन एक समय नमक वाला भोजन किया जाता है. मूल रूप से नहाय खाय का संबंध शुद्धता से है. इसमें व्रती खुद को सात्विक और पवित्र कर छठ का व्रत शुरु करती हैं.नहाय खाय के नियम नहाय खाय के दिन व्रती पूरे घर की अच्छी तरह सफाई करें, क्योंकि इस पर्व में शुद्धता का विशेष महत्व है. साथ ही व्रतियों के भी पवित्र नदी या तालाब में स्नान का विधान है. इस दिन व्रती सिर्फ एक ही बार भोजन ग्रहण करते हैं. साफ-सफाई और शुद्धता के साथ पहले दिन का नमक युक्त भोजन बनाया जाता है. बनाते वक्त किसी भी जूठी वस्तु का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. छठ के चारों दिन जो घर में व्रत नहीं रखते उन्हें भी सात्विक भोजन करना होता है.
कल यानि 18 नवंबर को मनाया जाएगा छठ का दूसरा दिन, छठ पूजा के दूसरे दिन को खरना कहते हैं.छठ पर्व के दूसरे दिन व्रती पूरे दिन उपवास रखते हैं. इस दिन शाम के समय गुड़ की खीर का प्रसाद खाकर व्रत खोला जाता है. इसके बाद 26 घंटे का निर्जला व्रत आरंभ हो जाता है .
छठ पूजा के पहले दिन नहाय-खाय होता है. इस शब्द का अर्थ है नहाना और साफ और स्वस्थ्य कपड़े पहनना. इस दिन सुबह किसी भी नदी, तालाब में शुद्ध पानी से स्नान करना और साफ कपड़े पहनना. वहीं खाय शब्द का अर्थ है एक विशेष भोजन जो महिलाएं व्रत करती हैं, जैसे चने की दाल और लौकी की सब्जी देसी घी में बनानी चाहिए और उसका सेवन करना चाहिए.
जिन लोगों को संतान सुख ना मिल पा रहा हो, उन लोगों को इस व्रत से अद्भुत लाभ होता है. अगर संतान पक्ष से कष्ट हो तो भी ये व्रत लाभदायक होता है. अगर कुष्ठ रोग या पाचन तंत्र की गंभीर समस्या हो तो भी इस व्रत को रखना अच्छा माना जाता है. जिन लोगों की कुंडली में सूर्य की स्थिति खराब हो उन लोगों को भी इस व्रत को जरूर रखना चाहिए.
छठ पूजा धार्मिक और सांस्कृतिक आस्था का लोकपर्व है. इसमें सूर्य देव का पूजन कर उन्हें अर्घ्य दिया जाता है. हिन्दू धर्म में सूर्य की उपासना का विशेष महत्व है. सूर्य देव को जगत की आत्मा कहा जाता है. उनके प्रकाश से कई तरह के रोग नष्ट करने की क्षमता पाई जाती है. सूर्य के शुभ प्रभाव से व्यक्ति को आरोग्य, तेज और आत्मविश्वास की प्राप्ति होती है. छठ पूजा पर सूर्य देव और छठी माता के पूजन से व्यक्ति को संतान, सुख और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है.
नहाय खाय के दिन व्रती पूरे घर की अच्छी तरह सफाई करती हैं. इस दिन व्रती सिर्फ एक ही बार भोजन ग्रहण करते हैं. साफ-सफाई और शुद्धता के साथ पहले दिन का नमक युक्त भोजन बनाया जाता है. खाना बनाते वक्त किसी भी जूठी वस्तु का इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए. छठ के चारों दिन घर का सारे सदस्य सात्विक भोजन करते हैं.
नहाय खाय की परंपरा निभाई जाती है. आज के दिन व्रती नदी या तालाब में स्नान कर कच्चे चावल का भात, चना दाल और कद्दू या लौकी प्रसाद के रूप में बनाकर ग्रहण करती हैं. इस भोजन को बहुत शुद्ध और पवित्र माना जाता है. नहाय खाय का संबंध शुद्धता से है. इसमें व्रती खुद को सात्विक और पवित्र कर छठ का व्रत शुरु करती हैं.
कद्दू की सब्जी को पूरी तरह से सात्विक माना जाता है. इसलिए यही खाकर छठ पूजा व्रत की शुरुआत की जाती है. माना जाता है कि इसे खाने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार बढ़ता है. सेहत के लिहाज से कद्दू आसानी से पचने वाली सब्जी है. यही वजह है कि छठ व्रती आज कद्दू का सेवन करते हैं.
आज के दिन छठव्रती स्नान कर शुद्ध शाकाहारी भोजन ग्रहण कर व्रत की शुरुआत करती हैं. नहाय खाय में व्रती सहित परिवार के सभी सदस्य चावल के साथ कद्दू की सब्जी, चने की दाल, मूली आदि ग्रहण करते हैं. व्रती के भोजन करने के बाद ही घर के बाकी सदस्य भोजन ग्रहण करते हैं.
चार दिनों तक चलने वाले छठ महापर्व का आज पहला दिन है. इसे नहाय खाय कहा जाता है. नहाय खाय का अर्थ है स्नान करके भोजन करना. इस महापर्व में महिलाएं संतान के सुख और उसकी लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है. आज के दिन शुद्धता का खास ध्यान रखा जाता है.