Chanakya Niti: बुढ़ापा जीवन का वह सत्य है जिसे लोग आसानी से स्वीकार नहीं करते. अक्सर लोग अपनी ढलती उम्र छिपाना चाहते हैं. आज की जीवनशैली में युवा भी जल्द बूढ़े दिखने लगते हैं. जल्द बाल सफेद होना, शारीरिक तौर पर कमजोरी, आए दिए अस्वस्थ रहना आदि ये चीजे बुढ़ापे की श्रेणी में आती है.


चाणक्य ने बुढ़ापे को लेकर भी अपने विचार साझा किए हैं. चाणक्य ने बताया है कि आखिर क्यों मनुष्य की उम्र समय से पहले ही ढलने लगती है, किन कारणों की वजह से वह बूढ़ों की कैटेगरी में आ जाता है. साथ ही चाणक्य कहते हैं कि अगर जवानी को बरकरार रखना है तो किन बातों पर अमल करें.


अध्वा जरा मनुष्याणां वाजिनां बंधनं जरा ।


अमैथुनं जरा स्त्रीणां वस्त्राणामातपं जरा ।।


ढलती उम्र का कारण


चाणक्य ने नीति शास्त्र के चौथे अध्याय के 17वें श्लोक में बताया है कि हर काम को करने का तरीका और नियम होते हैं. श्लोक में चाणक्य कहते हैं कि जो व्यक्ति हमेशा यात्रा पर रहते हैं. अपना क्षमता से अधिक चलते हैं उनकी उम्र जल्द ढलने लग जाती है, क्योंकि चाणक्य के अनुसार ऐसे व्यक्ति कि दिनचर्या व्यवस्थित नहीं होती. खान-पान, नींद समय पर नहीं हो पाता और शरीर पर इसका विपरीत असर पड़ता है, यात्रा की थकान और अनियमित रूटीन के कारण लोग जल्द बुढ़ापे का शिकार हो जाते हैं. श्लोक में चाणक्य ने ये भी बताया है कि जो स्त्री अपने पति से शारीरिक सुख नहीं पाती वह जल्दी बुढ़ापे की श्रेणी में आने लगती है.


घोड़े की शक्ति हो जाती है कमजोर


मनुष्यों के अलावा चाणक्य ने श्लोक में ये भी बताया है कि जिस घोड़े को ज्यादातर बांधकर रखा जाए वह जल्द बूढ़़ा हो जाता है. घोड़े का मूल काम है दौड़ना, उसके जवान रहने के लिए ये जरूरी है. अगर घोड़ा बंधा रहेगा तो ये उसकी शारीरिक प्रकृति के प्रतिकूल होगा, इससे उसकी शक्ति कमजोर होने लगेगी और जल्द उम्र ढलती जाएगी.


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