Safalta Ki Kunji: चाणक्य की चाणक्य नीति कहती है कि छात्र जीवन में किया परिश्रम व्यर्थ नहीं जाता है. इसीलिए विद्यार्थियों को शिक्षा प्राप्त करते समय कठोर अनुशासन का पालन करना चाहिए. जो विद्यार्थी कठोर अनुशासन का पालन करता है वह अपने लक्ष्य को प्राप्त करता है. आलस का त्याग करने से अनुशासन की भावना जागृत होती है. आलस से दूर रहना चाहिए. क्योंकि आलसी व्यक्ति के लिए लक्ष्य बहुत दूर होता है.

भगवान श्रीकृष्ण ने भी गीता में जीवन में अनुशासन के महत्व के बारे में बताया है. विद्वानों का मत है कि आलस एक अवगुण है जो व्यक्ति की प्रतिभा का भी नाश करता है. इसलिए विद्यार्थियों को इससे दूर ही रहना चाहिए. विद्यार्थी जीवन में ही भविष्य की सफलता की नींव तैयार होती है. इस जीवन काल में जो विद्यार्थी शिक्षा को पूर्णरूप से ग्रहण कर लेता है उसके लिए कोई भी लक्ष्य कठिन नहीं होता है. इसके साथ ही विद्यार्थियों को इन बातों का भी ध्यान रखना चाहिए.

बुरी संगत से दूर रहना चाहिए विद्यार्थियों को अपनी शिक्षा को पूर्ण करने को लेकर गंभीर रहना चाहिए. विद्यार्थी जीवन में संगत का भी ध्यान रखना चाहिए. विद्यार्थी जीवन में मित्रों का चयन सोच समझ कर ही करना चाहिए. गलत संगत से लक्ष्य को प्राप्त करने में दिक्कत आती है. इसलिए सदैव अच्छी संगत का ध्यान रखना चाहिए.

सेहत का पूर्ण ध्यान रखें विद्यार्थियों को अपनी सेहत का भी पूर्ण ध्यान रखना चाहिए. जब सेहत ठीक रहेगी तभी अध्ययन करने में मन लगेगा. अनुशासन का पालन करने से रोग भी दूर रहते हैं. मन भी प्रसन्न रहता है. विद्यार्थियों को सेहत के मामले में किसी भी प्रकार की लापरवाही नहीं बरतनी चाहिए.

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