Chaitra Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि का कल समापन होगा. चैत्र नवरात्रि की शुरूआत 9 अप्रैल से हुई थी. नौवें दिन यानि 17 अप्रैल को नवरात्रि के आखिरी व्रत के साथ पारण किया जाएगा. चैत्र नवरात्रि का आखिरी व्रत मां सिद्धिदात्री का होता है, इस दिन देवी मां के आखिरी स्वरूप की आराधना की जाती है. 


मां सिद्धिदात्री चार भुजाओं वाली हैं. इनका वाहन सिंह है. ये कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं. इनकी दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में कमलपुष्प है.


मां का यह स्वरूप सिद्धिदात्री सभी प्रकार की सिद्धियां देने वाली मां का माना गया है. इनके नाम का अर्थ है, 'सिद्धि' यानी अलौकिक शक्ति और 'धात्री' यानि देने वाली मां. चैत्र नवरात्रि में मां के इस स्वरूप की विशेष महिमा है. मां का ये रूप सभी कार्यों में सिद्धि प्रदान करने वाला बताया गया है.


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मां सिद्धिदात्री का भोग (Maa Sidhidatri Bhog)


मां के नौ रूपों को नौ अलग-अलग दिन अलग-अलग चीजों का भोग लगाया जाता है. मां दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री को हलवा-पूड़ी और चना का भोग लगाया जाता है. मां के इस भोग या प्रसाद को कन्याओं और ब्राह्मणों में बांटना बहुत शुभ माना जाता है. ऐसा करने से मां प्रसन्न होती हैं और साधक की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं.


भगवान शिव ने मां से प्राप्त की थीं आठ शक्तियां (Maa Sidhidatri Name in Hindi)


देवीपुराण के अनुसार मां सिद्धिदात्री से ही भगवान शिव ने आठ सिद्धियां प्राप्त की थीं. बाद में मां सिद्धिदात्री की कृपा से ही शिवजी का आधा शरीर देवी का हुआ और वे अर्द्धनारीश्वर कहलाए. इस दिन की भगवान शिव की पूजा भी विशेष फलदायी मानी गई है. बधुवार के दिन नवरात्रि का अंतिम दिन पड़ने से इस पूजा का महत्व बढ़ा जाता है. बुधवार का दिन भगवान गणेश जी का भी प्रिय दिन है.


मां सिद्धिदात्री के कई नाम हैं, जो इस प्रकार हैं-



  1. अणिमा

  2. लघिमा

  3. प्राप्ति

  4. प्राकाम्य

  5. महिमा

  6. ईशित्व

  7. वाशित्व

  8. सर्वकामावसायिता

  9. सर्वज्ञत्व

  10. दूरश्रवण

  11. परकायप्रवेशन

  12. वाक्‌सिद्धि

  13. कल्पवृक्षत्व

  14. सृष्टि

  15. संहारकरणसामर्थ्य

  16. अमरत्व

  17. सर्वन्यायकत्व

  18. भावना

  19. सिद्धि 


मां सिद्धिदात्री पूजा- विधि (Maa Sidhidatri Pujan-Vidhi)



  • सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होने के बाद साफ- स्वच्छ वस्त्र धारण करें.

  • मां की प्रतिमा को गंगाजल या शुद्ध जल से स्नान कराएं.

  • मां को सफेद रंग के वस्त्र अर्पित करें.

  • धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मां को सफेद रंग पसंद है.

  • मां की आरती और पाठ करें.

  • मां को उनका प्रिय हलवा -पूड़ी चना का भोग लगाएं.


मां सिद्धिदात्री मंत्र (Maa Sidhidatri Mantra)


या देवी सर्वभूतेषु मां सिद्धिदात्री रूपेण संस्थिता. नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:- इस मंत्र का जाप करने से मां प्रसन्न होती हैं. नित्य इस मंत्र का जाप करने से व्यक्ति के मान सम्मान में वृद्धि होती है. कार्य कुशलता बढ़ती है. नियम पूर्वक इस मंत्र का जाप करने से मन को शांति मिलती है. नव ग्रहों का दोष भी दूर होता है.


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