Brihaspati Devguru: बृहस्पति को देवताओं का गुरु होने का गौरव प्राप्त है. बृहस्पति देव विद्या, कर्म, व्यक्तित्व, धर्म, नीति के प्रतीक माने जाते हैं. जिसकी कुंडली में बृहस्पति ग्रह मजबूत होता है उसे जीवन में यश, कीर्ति, ज्ञान और सम्मान मिलता है. बृहस्पति धनु औऱ मीन राशि के स्वामी हैं. आइए जानते हैं बृहस्पति को देवगुरु की पदवी कैस मिली और किसने दी.


बृहस्पति कैसे बने देवगुरु


स्कंदपुराण के अनुसार ब्रह्मा जी के मानस पुत्र अंगिरा ऋषि के पुत्र थे जीव. जीव बुहत ही बुद्धिमान और स्वभाव से बहुत ही शांत थे. जीव बहुत ही जल्द वेद शास्त्रों के ज्ञाता हो गए थे. एक बार जीव ने काशी में शिवलिंग की स्थापना कर धोर तपस्या की. ये कठोर साधना कई वर्षों तक चली. इसके बाद भगवान भोलेनाथ ने जीव के कठिन तप से प्रसन्न होकर उन्हें साक्षात दर्शन दिए. शिव जी ने कहा कि इस कठोर तपस्या का फल तुम्हें जरुर मिलेगा. जगत में तुम बृहस्पति नाम से प्रसिद्ध होकर देवताओं के गुरु कहे जाओगे.अपने ज्ञान से देवताओं का मार्गदर्शन करो. उन्हें धर्म और नीति का पाठ पढ़ाओ. इस तरह महादेव ने बृहस्पति को नवग्रह मंडल में स्थान प्रदान किया.


ऐसे करें बृहस्पति देव की पूजा


गुरुवार को बृहस्पति देव की पूजा का प्रावधान है ऐसे व्यक्ति जिनकी कुंडली में कोई दोष हो,पढ़ाई में मन न लगता है, विवाह में बाधाएं आ रही हो,तरक्की के रास्ते बंद हो गए हों उन्हें बृहस्पति देव की पूजा करनी चाहिए. बृहस्पति देव की पूजा में पीले फूल, पीले चंदन के साथ पीले रंग का भोग लगाएं. आप चाहें तो भोग में चने की दाल और गुड़ ले सकते हैं. अगर व्रत रख रहे हैं तो दिनभर फलाहार करके शाम को पीले रंग का भोजन ग्रहण करें.


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