Bhai Dooj 2025: दिवाली पर्व के बाद भाई दूज पर्व को बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है. हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल भाई दूज पर्व को कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बहनें अपने भाई को तिलक लगाती हैं और उनके जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहे इसकी कामना करती हैं.
भाई दूज के दिन बहनें अपने भाइयों को घर बुलाकर भोजन करवाती हैं और उनका तिलक लगाकर उनकी लंबी उम्र की कामना करती हैं. भाई भी अपनी बहनों को उपहार देकर उसके सुखी वैवाहिक जीवन का आशीर्वाद देते हैं.
भाई दूज का त्योहार भाई दूज, भैया दूज, भाई टीका, यम द्वितीया, भ्रातृ द्वितीया कई नामों से जाना जाता है. इसे यम द्वितीया, भाऊ बीज, भतरु द्वितीया आदि नामों से जाना जाता है.
भाई दूज की शुभ मुहूर्त और तिथि
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि, पंचांग के अनुसार, भाई दूज की तिथि 22 अक्तूबर 2025 को रात 08:16 बजे शुरू होकर 23 अक्तूबर 2025 को रात 10:46 बजे तक रहेगी. ऐसे में इस बार भाई दूज का पर्व 23 अक्तूबर 2025 को मनाया जाएगा.
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि, भाई दूज के साथ ही पांच दिवसीय दिवाली उत्सव का समापन होता है. भाई दूज का पर्व बहन और भाई के प्रति विश्वास और प्रेम का होता है.
हर साल कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि के दिन भाई दूज के पर्व मनाया जाता है. देशभर में भाई दूज के पर्व को अलग-अलग नामों से भी जाना जाता है. यह दिन भाई बहन के प्यार और स्नेह के रिश्ते का प्रतीक होता है.
भाई दूज ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि पंचांग के अनुसार भाई दूज की तिथि 22 अक्तूबर 2025 को रात 08:16 बजे शुरू होकर 23 अक्तूबर 2025 को रात 10:46 बजे तक रहेगी. ऐसे में इस बार भाई दूज का पर्व 23 अक्तूबर 2025 को मनाया जाएगा.
भाई दूज पूजा विधि
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि भाई दूज पर शाम को शुभ मुहूर्त में भाई बहन यमराज चित्रगुप्त और यम के दूतों की पूजा करें तथा सबको अर्घ्य दें. बहन, भाई की आयु वृद्धि के लिए यम की प्रतिमा का पूजन कर प्रार्थना करें.
इसके बाद बहन, भाई को भोजन कराएं और तिलक लगाएं. इसके बाद भाई अपनी बहन को अपनी इच्छा के अनुसार उपहार दें. इस दिन सभी बहनें अपने हाथ से भाई को भोजन कराएं तो उसकी उम्र बढ़ती है. साथ ही उसके जीवन के सारे कष्ट दूर होते हैं.
यमुना और यमराज की पूजा का महत्व
ज्योतिषाचार्या एवं टैरो कार्ड रीडर नीतिका शर्मा ने बताया कि प्रचलित कथाओं के अनुसार एक बार यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने धरती पर आए. उस दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि थी.
भाई को आया देख यमुना ने उन्हें भोजन कराया और तिलक लगाकर आदर सत्कार किया. बहन का प्रेम देखकर यमराज ने कहा कि जो भी व्यक्ति इस तिथि पर यमुना में स्नान करके यम का पूजन करेगा मृत्यु के बाद उसे यमलोक की यातना नहीं सहनी पड़ेगी.
तभी से कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को यमुना नदी में स्नान कर यमराज की पूजा करने का विशेष महत्व है. स्कंद पुराण में लिखा है कि यमराज को प्रसन्न कर, पूजन करने वाले की हर कामना पूरी होती है.
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