Bhadrapada Mass Rules and Precautions: भाद्रपद मास का प्रारंभ 23 अगस्त 2021 से हो चुका है और यह 20 सितंबर को समाप्त होगा. धर्म शास्त्रों के अनुसार यह मास स्नान, दान, और व्रत करने के लिए उत्तम होता है. यह माह पर्व और त्योहारों से भरा है. इन पर्वों और त्योहारों में लोग व्रत रखकर भगवान या संबंधित देवी-देवताओं की पूजा आराधना करते हैं. जिससे देवी-देवता प्रसन्न होकर भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होने का आशीर्वाद देते हैं. हालांकि इस मास में मांगलिक और शुभ कार्य नहीं किये जाते हैं. क्योंकि इस मास में किये गए मांगलिक कार्यों का फल अमंगलकारी और अशुभ होता है. इस तरह हम देखते हैं कि भादो मास में किये जाने वाले कार्यों के कुछ नियम हैं. यदि इन नियमों का पालन किया जाये तो लोगों की सेहत अच्छी रहेगी और उनकी मुरादें पूरी होगी.


भादो मास में इन कार्यों को जरूर करें


भाद्रपद मास में धार्मिक कार्यों के साथ-साथ स्नान, दान, और व्रत करने आदि का भी विशेष महत्व बताया गया है. इस मास में भगवान शिव और माता पार्वती, भगवान विष्णु, भगवान श्रीकृष्ण के साथ श्री गणेश जी भगवान की पूजा करना उतम होता है. इन देवी-देवताओं की उपासना करने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है.


इस माह में मक्खन खाने से उम्र बढ़ती है. इस लिए इस माह में लोगों को गाय के घी व दूध का इस्तेमाल करना चाहिए. इससे वंश वृद्धि होती है. गोमूत्र को पानी में डालकर स्नान करने से पापों का नाश होता है. आलस्य दूर करने के लिए इस महीने शीतल जल से स्नान करना चाहिए.



भादो मास में भगवान श्रीकृष्ण को तुलसी दल अर्पित करना चाहिए. शुभ होता है. इस माह में तुलसी दल को दूध या चाय में उबालकर पीना उत्तम होता है.


इस माह में श्रीगणेश की पूजा करने एवं सात्विक आहार का सेवन करने से शुभफलों की प्राप्ति होती है तथा सभी बाधाओं से मुक्ति मिलती है.


भादो मास में यह करें


भाद्रपद मास में हरी पत्तेदार सब्जियां, दही, मास, मदिरा, शहद और गुड आदि का सेवन नहीं करना चाहिए. इस मास में कच्ची चीजें खाना वर्जित है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भादो के महीने में दही का सेवन भूलकर भी नहीं करना चाहिए. इससे सर्दी-जुकाम की संभावनाएं बहुत बढ़ जाती हैं. गले व फेफड़े में कफ हो सकता है.  


भादो में गुड़ खाना वर्जित है. इससे स्वर ख़राब हो जाते हैं. किसी अन्य व्यक्ति के दिए पके हुए चावल खाने से घर की लक्ष्मी घटती है. इस माह नारियल का तेल नहीं इस्तेमाल करना चाहिए. इससे संतान सुख में कमी आती है.