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कैसे पहुंचें बागेश्वर धाम आप बागेश्वर धाम मंदिर सड़क मार्ग, ट्रेन या हवाई मार्ग से जा सकते हैं. भोपाल से बागेश्वर धाम की दूरी करीब 365 किलो मीटर है. अगर आप ट्रेन से जाना चाहते हैं तो बागेश्वर धाम छतरपुर रेलवे स्टेशन या खजुराहो रेलवे स्टेशन पहुंच सकते हैं. बागेश्वर धाम जाने के लिए यहां आपको टैक्सी या बस आसानी से मिल जाएगी. अगर सड़क मार्ग से बागेश्वर धाम मंदिर जाना चाहते हैं तो पहले खजुराहो पहुंचना पड़ेगा. इसके बाद पन्ना रोड पर पन्ना गंज नाम के छोटे से कस्बे से 35 किलो मीटर दूर आकर आप यहां पहुंच सकते हैं.
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धीरेंद्र शास्त्री बोले-जब तक तन में प्राण रहेंगे, तब तक आते रहेंगे पटना में बागेश्वर धाम महाराज धीरेंद्र शास्त्री का पांच दिवसीय दिव्य दरबार आज समाप्त हो गया. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि, हम तो आज जा रहे हैं लेकिन वादा करके जा रहे हैं कि हम फिर आएंगे. बिहार में बहुत आनंद आया. यहां हनुमान जी की इतनी कृपा बरसी कि सब भूत भाग गए. आप सब मेरी आत्मा हो. जब तक मेरे तन में प्राण रहेंगे, तब हम बिहार आते रहेंगे.
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बागेश्वर धाम में अर्जी स्वीकार होने पर सपने में दिखाई देता है यह जानवर बागेश्वर धाम में अर्जी लगाने के बाद आपकी अर्जी स्वीकार हुई है या नहीं इस बात का पता आपको सपने में चल जाता है. पंडित धीरेंद्र शास्त्री कहते हैं, आपने सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से अर्जी लगाई है तो आपको या घर के किसी सदस्य को लगातार 2 दिन तक सपने में बंदर दिखाई देंगे. अगर एक दिन बंदर दिखे तो इसका मलतब यह है कि आपकी अर्जी पहुंच चुकी है. अगर सपने में बंदर न दिखे तो समझिए कि आपकी अर्जी स्वीकार नहीं हुई. अर्जी स्वीकार कराने के लिए आपको फिर से 2-3 मंगलवार तक इस प्रकिया को दोहराने होगा. इससे आपकी अर्जी जरूर स्वीकार हो जाएगी.
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ऐसे लगाई जाती है बागेश्वर धाम में अर्जी बागेश्वर धाम में आपको अर्जी लगाने के लिए एक पर्ची पर अपनी समस्या लिखकर उसे लाल, पीले या काले कपड़े में नारियल के साथ बांधकर परिसर में रखना होता है. अर्जी सामान्य है तो लाल कपड़े में नारियल बांधें, शादी-विवाह से जुड़ी अर्जी है तो पीले कपड़े में नारियल बांधें और अर्जी प्रेत-बाधाओं से जुड़ी है तो काले कपड़े में नारियल बांधा जाता है. अगर आप दरबार में जाकर अर्जी नहीं लगा सकते हैं तो अपने घर के पूजास्थल में भी कपड़े में नारियल बाधकर अर्जी लगा सकते हैं. ऐसा विश्वास है कि घर पर लगाई गई अर्जी को भी बालाजी महाराज सुन लेते हैं.
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बागेश्वर धाम का इतिहास बागेश्वर धाम बालाजी का पुराना मंदिर है, जोकि छतरपुर के पास बागेश्वर धाम में स्थित है.1986 में इस मंदिर का जीर्णोद्धार हुआ और इसके बाद मंदिर खूब प्रसिद्ध होता गया. 1987 में यहां धीरेंद्र शास्त्री के दादाजी संत सेतु लालजी महाराज का आगमन हुआ. इसके बाद 2012 में श्रद्धालुओं की समस्या का निराकरण करने के लिए दरबार की शुरुआत हुई और 2016 में बागेश्वर धाम में भूमि पूजन हुआ.
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धीरेंद्र शास्त्री के परिवार में कौन-कौन हैं? पंडित धीरेंद्र शास्त्री के परिवार में पिता रामकृपाल गर्ग और माता सरोज हैं. धीरेंद्र शास्त्री का एक छोटा भाई और एक बहन है. भाई का नाम राम गर्ग और बहन का नाम रीता गर्ग है. कहा जाता है कि धीरेंद्र शास्त्री की मां उन्हें प्यार से धीरू कहकर पुकारती हैं.
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धीरेंद्र शास्त्री ने बताए हनुमंत कथा के लाभ बागेश्वर धाम के पंडित धीरेंद्र शास्त्री ने हनुमंत कथा के आठ लाभ बताए हैं. उन्होंने कहा कि, जिन घरों में नियमित रूप से हनुमंत कथा होती है वहां शनिदेव के प्रकोप और रोग, पीड़ा से भी मुक्ति मिलती है. हनुमान जी की कथा सुनने के बाद शोक, ग्लानि और क्षोभ से छुटकारा मिलता है. धीरेंद्र शास्त्री ने कहा कि इससे अपराध से भी मुक्ति मिलती है और कुंडली के मंगल दोष शांत होते हैं.
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कथा के आखिरी दिन भक्तों को मिलेगा भभूत आज पटना में हनुमंत कथा के पांचवे और आखिरी दिन बाबा धीरेंद्र शास्त्री भक्तों को भभूत देंगे.
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आज समय से पहले शुरू हो जाएगा धीरेंद्र शास्त्री का प्रवचन आज पटना में बागेश्वर धाम धीरेंद्र शास्त्री के प्रवचन का अंतिम दिन है. जानकारी के अनुसार, आज हनुमंत कथा 1:30 बजे से शुरू हो जाएगी.
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विदेश में 3 अवार्ड से सम्मानित हुए थे धीरेंद्र शास्त्री बागेश्वर धाम सरकार के धीरेंद्र शास्त्री को 14 जून 2022 को लंदन की संसद में तीन अवॉर्ड संत शिरोमणि, वर्ल्ड बुक ऑफ लंदन और वर्ल्ड बुक ऑफ यूरोप से सम्मानित किया गया था. सामाजिक और धार्मिक परोपकारी कामों के लिए उन्हें यह सम्मान मिला था.
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विदेश में भी लोकप्रिय हैं धीरेंद्र शास्त्री पंडित धीरेंद्र शास्त्री की लोकप्रियता केवल भारत ही नहीं बल्कि विदेशों में भी है. ये ब्रिटेन समेत अन्य देशों में राम कथा का वाचन कर चुके हैं.
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पटना के बाद गया में लगेगा धीरेंद्र शास्त्री का दिव्य दरबार पटना के बाद धीरेंद्र शास्त्री अगला दरबार 27 सितंबर को गया में होगा और हनुमंत कथा भी होगी. धीरेंद्र शास्त्री ने पटना में कथावाचन के दौरान इसका एलान किया है. उन्होंने कहा,अब हम जाएंगे गया फिर आएंगे पटना. आपके दिल हनुमान जी की भक्ति कभी न चाहिए घटना.
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क्यों प्रसिद्ध है बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री? बागेश्वर धाम के धीरेंद्र शास्त्री को देशभर में उनके चमत्कारों के कारण जाना जाता है. भक्त अपनी अर्जी बागेश्वर धाम में लगाते हैं और बाबा उसकी समस्याओं का समाधान या उपाय एक कागज की पर्ची में लिखकर बताते हैं.
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कौन थे बागेश्वर धाम के सन्यासी बाबा? बागेश्वर धाम से जुड़े अनुयायियों की मानें तो बागेश्वर धाम के संन्यासी बाबा धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री के परदादा थे. कहा जाता है कि, उन्होंने बागेश्वर धाम बालाजी का मंदिर बनवाया था. आसपास के इलाकों में उनकी विशेष मान्यता थी, वे भी समस्याओं का निदान किया करते थे.
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क्यों प्रसिद्ध है बागेश्वर धाम ? बागेश्वर धाम भगवान हनुमान के मंदिर के लिए विख्यात है. पौराणिक मान्यता के अनुसार बागेश्वर धाम अनेक तपस्वियों की दिव्य भूमि रही है. लोगों में ऐसी आस्था है कि बागेश्वर धाम में दर्शन मात्र से ही मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है.
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बागेश्वर धाम में कैसे लगती है अर्जी? जानकारी के मुताबिक,बागेश्वर धाम में अर्जी लगाने के लिए धाम पर जाकर रंगीन कपड़े में एक नारियल बांधकर बागेश्वर धाम परिसर में रख देना होता है. यहां लाल, पीले और काले कपड़े में नारियल को बांधते हैं.सामान्य अर्जी होने पर लाल कपड़ा, शादी-विवाह से जुड़ी अर्जी होने पर पीला कपड़ा और प्रेत बाधाओं से जुड़ी अर्जी होने पर नारियल को काले कपड़े में बांधकर रखा जाता है.
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दिव्य दरबार में पहले दिन पहुंचे थे इतने लोग पटना के नौबतपुर के तरेत पाली मठ में बागेश्वर धाम सरकार के धीरेंद्र शास्त्री के पांच दिवसीय दिव्य दरबार की शुरुआत शनिवार 13 मई से हुई थी. दरबार में पहले दिन हनुमंत कथा सुनने के लिए लाखों की संख्या में श्रद्धालु सुनने पहुंचे थे
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पटना में दिव्य दरबार के चौथे दिन भक्तों की भारी भीड़ पटना में बागेश्वर धाम सरकार धीरेंद्र शास्त्री के दिव्य दरबार के चौथे दिन भी भक्तों की भरमार रही और चारों ओर आस्था का माहौल देखने को मिला.