Baba Baukh Nag: उत्तराखंड के उत्तरकाशी में सिल्क्यारा सुरंग में दिवाली के दिन 12 नवंबर 2023 को 41 मजदूर फंस गए थे. 17 दिनों की कड़ी मशक्कत के बाद 28 नवंबर 2023 को सभी मजदूरों को बाहर निकाला गया है और सभी मजदूर पूरी तरह से स्वस्थ हैं.


हालांकि सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने का यह काम इतना आसान नहीं था. इसके लिए विदेशी एक्सपर्ट की भी सलाह ली गई और विदेशों से कई मशीन भी मंगवाए गए. लेकिन एक के बाद एक अड़चनों ने इस रेस्क्यू ऑपरेशन को मुश्किल बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी. लेकिन खुशी की बात यह है कि, 17 दिनों के अथक प्रयासों के बाद निराशा हाथ नहीं लगी और मजदूरों का रेस्क्यू ऑपशेन सक्सेस हो गया और सभी सकुशल बाहर आ गए.


मजदूरों के सुरंग में फंसने और बाहर निकालने के प्रयासों में बार-बार विफलता हाथ लगने को लेकर स्थानीय लोगों का ऐसा मानना था कि, यह सब बाबा बौखनाथ देवता की नाराजगी के कारण हो रहा है. लोग उत्तरकाशी सुरंग हादसे को दैवीय प्रकोप मान रहे हैं. आइये जानते हैं कौन हैं बाबा बौखनाग और क्या है उनकी नाराजगी का कारण.


कौन हैं बाबा बौखनाग ?


उत्तरकाशी के स्थानीय लोगों में बाबा बौखनाग को लेकर बड़ी मान्यता है. इन्हें पहाड़ों का रक्षक कहा जाता है. नौगांव में पहाड़ों के बीचों-बीच बाबा बौखनाग का मंदिर है. यहां के स्थानीय लोग बाबा बौखनाग को अपना ईष्ट देवता मानते हैं. मान्यता है कि, बाबा बौखनाग की उत्पत्ति नाग के रूप में हुई है.


सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए जब रेस्क्यू ऑपरेशन में बार-बार बाधाएं आ रही थीं, तब उत्तरकाशी की सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 मजदूरों को बचाने के लिए आस्था का भी सहारा लिया गया और टनल के मुहाने पर बौखनाग देवता का मंदिर स्थापित किया गया. इस मंदिर में प्रतिदिन पूजा-पाठ किए गए. जिस दिन मजदूर सुरंग से बाहर निकले, उसके ठीक एक दिन पहले टनल के पास बनाए गए मंदिर के पीछे रिसाव से महादेव की आकृति सी बन गई, जिसे लोगों ने बाबा बौखनाग का साक्षात दर्शन कहा और इसके बाद लोग कहने लगे कि, रेस्क्यू ऑपरेशन सक्सेस होने के लिए बाबा बौखनाथ देवता वहां उपस्थित हुए.


क्यों नाराज हुए बाबा बौखनाग ?


उत्तरकाशी सुरंग हादसे को स्थानीय लोग बाबा बौखनाग की नाराजगी बता रहे हैं. लोगों का यह मानना है कि यह हादसा बाबा के प्रकोप के कारण हुआ था. दरअसल स्थानीय लोग यह दावा कर रहे हैं कि, टनल बनाने क्रम में कंपनी ने निर्माण कार्य के दौरान बाबा बौखनाग के मंदिर को तोड़ा था. इसलिए बाबा बौखनाग देवता नाराज हो गए थे और यह हादसा हुआ. इसके बाद स्थानीय लोगों ने कहा कि, जब तक यहां मदिर का निर्माण नहीं होगा, तब तक बाबा बौखनाग देवता नाराज ही रहेंगे. यही कारण है कि कंपनी ने सुरंग के बाहर ही बौखनाग देवता का मंदिर स्थापित किया और इसके बाद ऑपरेशन सफल हुआ और मजदूर टनल से बाहर निकलें.


सिलक्यारा में बनेगा बाबा बौखनाग का मंदिर


उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने, रेस्क्यू ऑपरेशन के सफल होने पर कहा कि, यह ऑपरेशन बाबा बौखनाग और देवभूमि के देवी-देवता की कृपा से सफल हो पाया. उन्होंने कहा कि, सिल्क्यारा में बाबा बौखनाग देवता का भव्य मंदिर बनेगा. सरकार स्थानीय लोगों के इस मांग को पूरा करेगी. माना जा रहा है कि, सुरंग के मुहाने पर बने बाबा बौखनाग के छोटे मंदिर को ही भव्य रूप से बनाया जाएगा.


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