कुंडली में ग्रहों की शुभ-अशुभ होने का प्रभाव व्यक्ति के जीवन में उथल-पुथल मचा देता है. ऐसा होने पर व्यक्ति रोगी, दुख-दर्द और संकटों में घिर जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ग्रहों के अशुभ प्रभावों से बचने के लिए व्यक्ति को नियमित रूप से हनुमान चालीसा करने की सलाह दी जाती है. धार्मिक मान्यता है कि हनुमान जी के भक्तों पर कभी बुरा प्रभाव नहीं पड़ता. बजरंग बली को कलयुन में जागृत देव माना जाता है.
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है कि हनुमान जी को मां सीता ने अजर-अमर रहने का वरदान दिया था. हनुमान जी को प्रसन्न करना बेहद आसान है. हनुमान जी की कृपा पाने के लिए व्यक्ति को नियमित रूप से हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. साथ भगवान राम और सीता का सुमिरन करने से भी व्यक्ति को बजरंग बली की कृपा प्राप्त होती है. इससे व्यक्ति के दुख-दर्द और रोग आदि सभी दूर हो जाते हैं.
श्री हनुमान चालीसा
श्रीगुरु चरन सरोज रजनिजमनु मुकुरु सुधारिबरनउँ रघुबर बिमल जसुजो दायकु फल चारिबुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमारबल बुधि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार
जय हनुमान ज्ञान गुन सागरजय कपीस तिहुँ लोक उजागरराम दूत अतुलित बल धामाअंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगीकुमति निवार सुमति के संगीकंचन बरन बिराज सुबेसाकानन कुण्डल कुँचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजेकाँधे मूँज जनेउ साजेशंकर सुवन केसरी नंदनतेज प्रताप महा जग वंदन।।
बिद्यावान गुनी अति चातुरराम काज करिबे को आतुरप्रभु चरित्र सुनिबे को रसियाराम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावाबिकट रूप धरि लंक जरावाभीम रूप धरि असुर सँहारेरामचन्द्र के काज संवारे।।लाय सजीवन लखन जियायेश्री रघुबीर हरषि उर लायेरघुपति कीन्ही बहुत बड़ाईतुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैंअस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैंसनकादिक ब्रह्मादि मुनीसानारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहाँ तेकबि कोबिद कहि सके कहाँ तेतुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हाराम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन मानालंकेश्वर भए सब जग जानाजुग सहस्र जोजन पर भानुलील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहींजलधि लाँघि गये अचरज नाहींदुर्गम काज जगत के जेतेसुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारेहोत न आज्ञा बिनु पैसारेसब सुख लहै तुम्हारी सरनातुम रच्छक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपैतीनों लोक हाँक तें काँपैभूत पिसाच निकट नहिं आवैमहाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरे सब पीराजपत निरन्तर हनुमत बीरासंकट तें हनुमान छुड़ावैमन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजातिन के काज सकल तुम साजाऔर मनोरथ जो कोई लावैसोई अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हाराहै परसिद्ध जगत उजियारासाधु सन्त के तुम रखवारेअसुर निकन्दन राम दुलारे।।
अष्टसिद्धि नौ निधि के दाताअस बर दीन जानकी माताराम रसायन तुम्हरे पासासदा रहो रघुपति के दासा।।
तुह्मरे भजन राम को पावैजनम जनम के दुख बिसरावैअन्त काल रघुबर पुर जाईजहां जन्म हरिभक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरईहनुमत सेइ सर्ब सुख करईसङ्कट कटै मिटै सब पीराजो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जय जय जय हनुमान गोसाईंकृपा करहु गुरुदेव की नाईंजो सत बार पाठ कर कोईछूटहि बन्दि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसाहोय सिद्धि साखी गौरीसा
तुलसीदास सदा हरि चेराकीजै नाथ हृदय महं डेरा।।
पवनतनय संकट हरन, मंगल मूरति रूपराम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।
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