Apara Ekadashi 2022, Achala Ekadashi 2022 : अपरा एकादशी का व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन पूजा और व्रत करने से मनुष्य को सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है. इस बार की अपरा एकादशी विशेष है, क्योंकि इस दिन गुरुवार है. माना जाता है कि जब एकादशी की तिथि गुरुवार को पड़ती है तो इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है. इस एकादशी तिथि को अचला एकादशी भी कहा जाता है.


अपरा एकादशी व्रत मुहूर्त 
एकादशी तिथि का प्रारंभ: 25 मई 2022 दिन बुधवार को सुबह 10:32 से.
ज्येष्ठ मास के कृष्ण पक्ष एकादशी का समापन: 26 मई गुरुवार सुबह 10:54 पर.
एकादशी व्रत का प्रारंभ: 26 मई 2022 दिन गुरुवार.
एकादशी व्रत का पारण: 27 मई दिन शुक्रवार प्रातः काल 5:30 से 8:05 तक.


एकादशी व्रत की कथा (Apara Ekadashi 2022 Katha)


पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में महीध्वज नामक एक धर्मात्मा राजा था. लेकिन उसका छोटा भाई वज्रध्वज बड़ा ही क्रूर और अधर्मी था. वह अपने बड़े भाई से द्वेष रखता था. उस पापी ने एक दिन रात्रि में अपने बड़े भाई की हत्या करके उसकी देह को एक जंगली पीपल के नीचे गाड़ दिया. इस अकाल मृत्यु से राजा प्रेतात्मा के रूप में उसी पीपल पर रहने लगा और अनेक उत्पात करने लगा. एक दिन अचानक धौम्य नामक ॠषि उधर से गुजरे. उन्होंने प्रेत को देखा और तपोबल से उसके अतीत को जान लिया. अपने तपोबल से प्रेत उत्पात का कारण समझा. 


ॠषि ने प्रसन्न होकर उस प्रेत को पीपल के पेड़ से उतारा तथा परलोक विद्या का उपदेश दिया. दयालु ॠषि ने राजा की प्रेत योनि से मुक्ति के लिए स्वयं ही अपरा (अचला) एकादशी का व्रत किया और उसे अगति से छुड़ाने को उसका पुण्य प्रेत को अर्पित कर दिया. इस पुण्य के प्रभाव से राजा की प्रेत योनि से मुक्ति हो गई. वह ॠषि को धन्यवाद देता हुआ दिव्य देह धारण कर पुष्पक विमान में बैठकर स्वर्ग को चला गया.


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