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अक्षय तृतीया के दिन सूर्य भगवान की पूजा करने और उन्हें जल अर्पित करने से शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने में मदद मिलती है. इस दिन सूर्य मंत्रों का जाप भी लाभकारी है. इस समय पूरा देश महामारी से लड़ाई लड़ रहा है ऐसे में इस दिन की जाने वाली सूर्य उपासना से स्वयं को मजबूत बनाया जा सकता है.
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अक्षय तृतीया क्यों विशेष है- अक्षय तृतीया के दिन ही महाभारत के युद्ध का समापन हुआ था. वहीं द्वापर युग का समापन भी इसी दिन हुआ था. यही नहीं इसी दिन यानि अक्षय तृतीया के दिन ही मां गंगा का पृथ्वी पर आगमन हुआ था. इसलिए इस दिन को बहुत ही पवित्र और शुभ माना जाता है.
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अक्षय तृतीया के महत्व के बारे में पुराणों में भी वर्णन किया गया है. भविष्य पुराण के अनुसार सतयुग और त्रेता युग का आरंभ अक्षय तृतीया से हुआ है. इसी दिन भगवान विष्णु ने छठा अवतार भगवान परशुराम के रूप में लिया था. इसीलिए भगवान परशुराम का जन्मोत्सव भी इसी दिन मनाया जाता है. परशुराम जी को न्याय का देवता भी माना जाता है.
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इक्षु तृतीया- अक्षय तृतीया के दिन ही जैन धर्म की मान्यता के अनुसार प्रथम तीर्थंकर भगवान ऋषभनाथ ने एक वर्ष तक कठोर तपस्या की थी. इन्हें भगवान आदिनाथ भी कहा जाता है. भगवान आदिनाथ ने 400 दिनों तक कठोर तपस्या की थी. आदिनाथ जी ने ही पूरी दुनिया को सत्य और अंहिसा का पाठ पढ़ाया था. इस दिन को इक्षु तृतीया पर्व के रूप में मनाया जाता है. अक्षय तृतीया के दिन इक्षु रस यानि गन्ने का रस से अपनी तपस्या का पारण किया था. इस कारण जैन धर्म यह दिन बहुत ही शुभ और विशेष माना गया है.
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लॉकडाउन में ऐसे करें अक्षय तृतीया की पूजा- कोरोना वायरस के चलते पूरे देश में लॉकडाउन की स्थिति बनी हुई है लोगों को घरों में रहने के लिए कहा गया है. ऐसे में इस पर्व पर घर पर ही पूजा करें. वैसे तो खरीदारी करने की परंपरा भी है लेकिन लॉकडाउन के चलते ये संभव नहीं है. इसलिए इस दिन घर में रखे स्वर्ण आभूषणों की पूजा करें और दान करें. अपने आसपास जो भी इस समय जरुरतमंद दिखाई दें उन्ही मदद करें और दान करें.
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अक्षय तृतीया के दिन सूर्य देव की भी पूजा का योग बन रहा है. इस दिन रविवार को अक्षय तृतीया का पर्व पड़ रहा है. मान्यता है कि अक्षय तृतीया के दिन सूर्य की किरणें पृथ्वी पर तेज गति से पड़ती हैं, जिनका विशेष महत्व होता है.
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26 अप्रैल 2020 को अक्षय तृतीया बहुत ही शुभ और विशेष है क्योंकि वैशाख माह की तृतीया तिथि स्वयंसिद्ध मुहूर्तों में अति उत्तम तिथि है. इस दिन किसी भी तरह का शुभ व मांगलिक कार्य किया जा सकता है. इस दिन भगवान विष्णु को प्रसन्न किया जाता है.
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अक्षय तृतीया के दिन दान का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. इसलिए इस दिन इन चीजों का दान करना चाहिए- जल, घड़ा, प्याऊ की स्थापना, पंखे, छाता, चावल, खरबूजा, ककड़ी, चीनी, सत्तू का दान श्रेष्ठ माना गया है. इस दान का जीवन में अक्षय फल प्रदान होता है.
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अक्षय तृतीया की कथा
पौराणिक कथा के अनुसार प्राचीन काल में देव-ब्राह्मणों में श्रद्धा रखने वाला धर्मदास नामक एक वैश्य था. परिवार बड़ा था. यही उसकी पीड़ा का कारण था. एक बार उसने अक्षय तृतीया के माहात्म्य के बारे में सुना. जब अक्षय तृतीया का पर्व आया तो उसने गंगा स्नान किया. नियम और विधिपूर्वक देवी-देवताओं की पूजा की. जल से भरा घड़ा, जौ, गेहूं, नमक, लड्डू, पंखा, सत्तू, दही, चावल, गुड़, सोना और कपड़ों का दान किया. परिजनों के मना करने के बाद भी धर्मदास लगातार दान पुण्य का कार्य करते रहे.बाद में यही धर्मदास दूसरे जन्म में कुशावती का राजा बना.
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अक्षय तृतीया पूजा मुहूर्त
26 अप्रैल को अक्षय तृतीया पूजा का मुहूर्त प्रात: 05:45 से आरंभ होगा और दोपहर 12:19 तक रहेगा.
अक्षय तृतीया तिथि का प्रारंभ
25 अप्रैल को प्रात: 11 बजकर 51 मिनट
अक्षय तृतीया तिथि का समापन
26 अप्रैल को दोपहर 01 बजकर 22 मिनट