Akshaya Tritiya 2024: अक्षय तृतीया को विवाह के लिए अबूझ मुहूर्त माना गया है. इसे आखा तीज भी कहते हैं. अक्षय तृतीया का पर्व वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को मनाया जाता है. इस दिन बिना मुहूर्त निकाले शुभ कार्य, विवाह करना, सोना-चांदी खरीदना, नए कार्य करने से जैसे काम किए जा सकते हैं.


हिंदू धर्म में अक्षय तृतीया को एक शुभ मुहूर्त और महत्वपूर्ण तिथि माना जाता है. इस तिथि पर सभी तरह के मांगलिक और शुभ कार्य किए जा सकते हैं. अक्षय तृतीया के दिन खरीदारी करना बेहद शुभ होता है. इसी दिन भगवान विष्णु ने नर और नारायण के रूप में अवतार लिया था.


अक्षय तृतीया पर इन कामों से मिलता है अक्षय पुण्य


इस साल वैशाख मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 मई को है. इस दिन अक्षय तृतीया के साथ ही परशुराम जयंती भी मनाई जाती है.धार्मिक ग्रंथों के मुताबिक इसी तिथि से सतयुग और त्रेतायुग की शुरुआत मानी जाती है.  इस दिन किया गया जप, तप, ज्ञान, स्नान, दान, होम आदि अक्षय रहते हैं. इसी कारण इसे अक्षय तृतीया के नाम से जाना जाता है. इस दिन किए गए व्रत-उपवास और दान-पुण्य से अक्षय पुण्य मिलता है. अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य जिसका कभी क्षय (नष्ट) नहीं होता है.


अक्षय तृतीया पर जल का दान जरूर करना चाहिए. साल में चार अबूझ मुहूर्त आते हैं. इन मुहूर्त में विवाह आदि सभी मांगलिक कार्य बिना शुभ मुहूर्त देखे किए जा सकते हैं. ये चार अबूझ मुहूर्त हैं- अक्षय तृतीया, देवउठनी एकादशी, वसंत पंचमी और भड़ली नवमी. ये चारों तिथियां किसी भी शुभ काम की शुरुआत के लिए सर्वश्रेष्ठ मानी गई हैं.


अक्षय तृतीया पर कई शुभ योग का निर्माण (Akshaya Tritiya 2024 Shubh Yog)


इस साल अक्षय तृतीया पर 10 मई को कई शुभ योग बन रहे हैं. अक्षय तृतीया के दिन गजकेसरी योग और धन योग बन रहे हैं. वहीं दूसरी ओर इस दिन सूर्य और शुक्र की मेष राशि में युति हो रही है, जिससे शुक्रादित्य योग बन रहा है. इसके साथ ही मीन राशि में मंगल और बुध की युति से धन योग, शनि के मूल त्रिकोण राशि कुंभ में होने से शश योग और मंगल के अपनी उच्च राशि मीन में रहकर मालव्य राजयोग और वृषभ राशि में चंद्रमा और गुरु की युति से गजकेसरी योग बन रहा है.


अक्षय तृतीया शुभ मुहूर्त (Akshaya Tritiya 2024 Shubh Muhurat)


पंचांग के अनुसार इस साल वैशाख माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 10 मई को सुबह 04:17 मिनट पर शुरू होगी और इसका समापन 11 मई को देर रात 02:50 मिनट पर होगा. उदयातिथि के अनुसार अक्षय तृतीया का पर्व 10 मई 2024 को मनाया जाएगा. 10 मई को अक्षय तृतीया के दिन पूजा के लिए सुबह 05:33 मिनट से लेकर दोपहर 12:18 मिनट तक का समय रहेगा.


पितरों की तृप्ति का पर्व 


अक्षय तृतीया के दिन बद्रीनाथ धाम के पट खुलते हैं. इस दिन तिल सहित कुश के जल से पितरों को जलदान करने से उनकी अनंत काल तक तृप्ति होती है. इस तिथि से ही गौरी व्रत की शुरुआत होती है, जिसे करने से अखंड सौभाग्य और समृद्धि मिलती है. अक्षय तृतीया पर गंगास्नान का भी बड़ा महत्व है. इस दिन गंगा स्नान करने या घर पर ही पानी में गंगाजल मिलाकर नहाने से हर तरह के पाप खत्म हो जाते हैं.


तीर्थ स्नान और अन्न-जल का दान


अक्षय तृतीया के इस शुभ पर्व पर तीर्थ में स्नान करने की परंपरा है. ग्रंथों में कहा गया है कि अक्षय तृतीया पर किया गया तीर्थ स्नान जाने-अनजाने में हुए हर पाप को खत्म कर देता है. इससे हर तरह के दोष खत्म हो जाते हैं. इसे दिव्य स्नान भी कहा गया है. तीर्थ स्नान न कर सकें तो घर पर ही पानी में गंगाजल की कुछ बूंदे डालकर नहा सकते हैं. ऐसा करने से भी तीर्थ स्नान का पुण्य मिलता है. इसके बाद अन्न और जलदान का संकल्प लेकर जरुरतमंद को दान दें. ऐसा करने से कई यज्ञ और कठिन तपस्या करने जितना पुण्य फल मिलता है.


दान से मिलता है अक्षय पुण्य


अक्षय तृतीया पर घड़ी, कलश, पंखा, छाता, चावल, दाल, घी, चीनी, फल, वस्त्र, सत्तू, ककड़ी, खरबूजा और दक्षिणा सहित धर्मस्थान या ब्राह्मणों को दान करने से अक्षय पुण्य फल मिलता है. अबूझ मुहूर्त होने के कारण नया घर बनाने की शुरुआत, गृह प्रवेश, देव प्रतिष्ठा जैसे शुभ कामों के लिए भी ये दिन खास माना जाता है.


ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का प्राकट्य दिवस


अक्षय तृतीया को युगादि तिथि भी कहते हैं. अक्षय का अर्थ है, जिसका क्षय न हो. इस तृतीया का विष्णु धर्मसूत्र, भविष्य पुराण, मत्स्य पुराण और नारद पुराण में उल्लेख है. ब्रह्मा के पुत्र अक्षय का इसी दिन प्राकट्य दिवस रहता है. दान के लिए खास दिन इस दिन अत्र व जल का दान करना शुभ माना है. खास कर जल से भरा घड़ा या कलश किसी मंदिर या प्याऊ स्थल पर जाकर रखना चाहिए. ऐसा करने से सुख-समृद्धि बढ़ती है. इस दिन प्रतिष्ठान का शुभारंभ, गृह प्रवेश व अन्य मंगलकार्य करना विशेष फलदायी रहता है.


भगवान विष्णु ने लिए कई अवतार


अक्षय तृतीया को चिरंजीवी तिथि भी कहा जाता है, क्योंकि इसी तिथि पर भगवान विष्णु के अवतार परशुराम जी का जन्म हुआ था. परशुराम जी चिरंजीवी माने जाते हैं यानी ये सदैव जीवित रहेंगे. इसके अलावा भगवान विष्णु के नर-नरायण, हयग्रीव अवतार भी इसी तिथि पर प्रकट हुए थे.


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