Mata Sita: माता सीता को सबसे सर्वश्रेष्ठ और उत्तम माना गया है. माता सीता प्रभु श्री राम की पत्नी थी. जिन्होंने जीवन के हर पल में अपने पति का साथ दिया. उनके जीवन का उद्दाहरण  आज भी लोग देते हैं. रामायण में माता सीता के चरित्र से कई प्रेरणा मिलती है. अगर आप भी एक सफल और आदर्श स्त्री बनना चाहती हैं और एक अच्छी पत्नी तो माता सीता के चरित्र से प्रेरणा लेकर आप भी बन सकती है सर्वश्रेष्ठ.


पति का साथ दिया


माता सीता ने जीवन में अपने पति प्रभु श्री राम का हर मोड़ पर साथ दिया. हर मुश्किल में वो अपने प्रभु के साथ खड़ी रहीं. किसी भी राह में उन्होंने अपने पति का हाथ नहीं छोड़ा. उनकी यह मिसाल आज भी दी जाती है.


धैर्य की देवी


माता सीता में धैर्य कूट-कूट कर भरा हुआ था. माता सीता का जन्म राजा जनक के यहां हुआ था. महलों में रहने वाली जनक नंदनी ने एक पल नहीं लगाया और प्रभु श्री राम के साथ वनवास जाने के लिए हामी भर दी थी. महल का मोह त्याग कर वो कांटों भरे रास्तों पर चलने के लिए खुशी-खुशी राजी हो गईं थी.


संयमी माता


सीता माता का चरित्र बहुत संयमी था. माता सीता बहुत साहसी थी और आत्मविश्वासी थी. आज उनका यह चरित्र लोगों के लिए मिसाल है. लव-कुश को लेकर  जब वह वाल्मीकि के आश्रम में रही तो उन्होंने बच्चों को अच्छे संस्कार दिए.


पति का मान रखने वाली


सीता माता ने त्याग, पति के मान, और पतिव्रत का पालन जीवनपर्यंत किया. रावण के विवाह के लिए विवश करने पर भी माता सीता ने अपना पतिव्रत नहीं छोड़ा. उनके अपने पति प्रभु श्री राम पर पुरा भरोसा था वो उनको लंका से लेने आएंगे. पति का मान उनके लिए सर्वोपरी थी.


आदर्श स्त्री


सीता माता एक आदर्श पत्नी और महिला थी. हर किसी की मदद के लिए वो आगे आती थी.


पवित्रता का प्रतीक


माता सीता पवित्रता और शुद्धता का प्रतीक हैं. उन्होंने अपने पति का मान हमेशा रखा.


आत्मविश्वासी माता


रावण के हरण करने के बाद भी माता सीता का आत्मविश्वास नहीं डगमगाया, उनका आत्मविश्वास और धर्य उनके साथ रहा और अंत में उनकी जीत हुई.


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