साइकोटिक डिप्रेशन, जिसे मेजर डिप्रेसिव डिसऑर्डर विद साइकोटिक फीचर्स भी कहा जाता है, एक गंभीर मानसिक स्वास्थ्य स्थिति है. इसमें व्यक्ति गहरे अवसाद के साथ-साथ साइकोटिक लक्षण जैसे कि मतिभ्रम और भ्रांतिधारणा का अनुभव करता है. आजकल बच्चों में इस तरह के अवसाद के मामले बढ़ रहे हैं, यह एक चिंता का विषय है. 


क्या हैं साइकोटिक डिप्रेशन
साइकोटिक डिप्रेशन एक तरह का बहुत गहरा दुख है, जिसमें बच्चे गलत और अजीब विचार महसूस करते हैं. यह उनके दोस्ती बनाने, स्कूल में अच्छा करने और खुश रहने में रुकावट डाल सकता है. इसलिए इसे जल्दी समझना और इलाज करवाना जरूरी है, ताकि बच्चा सही और खुश रह सके. 


क्यों बढ़ रहे हैं बच्चों में ये मामले?


बढ़ता दबाव और तनाव
आजकल की जिंदगी और स्कूल की प्रतिस्पर्धा में बच्चों पर बहुत दबाव पड़ता है. इससे वे मानसिक तौर पर थक सकते हैं. यह दबाव उन्हें अंदर से कमजोर बना सकता है, जिससे उनका मन उदास रह सकता है.


कम बातचीत और सामाजिक संबंध
इस डिजिटल युग में, बच्चे अक्सर स्क्रीन के सामने बहुत समय बिताते हैं. इससे उनकी असली दुनिया में दोस्तों और लोगों से बातचीत कम हो जाती है. इसका मतलब है कि वे आमने-सामने कम बात कर पाते हैं.


जैनेटिक कारक
कभी-कभी, मानसिक समस्याएं फैमिली से भी आती हैं, जिसे हम आनुवंशिक कहते हैं. इसका मतलब है कि अगर परिवार में किसी को ऐसी समस्या हो, तो बच्चों में भी यह समस्या होने का खतरा ज्यादा होता है. इसलिए अगर फैमिली में किसी को मानसिक समस्या हो, तो सतर्क रहना चाहिए. 


उपचार और बचाव



  • मनोचिकित्सा और दवाई: डॉक्टर से सलाह लेकर उचित दवाई और थेरेपी से बच्चों को इस अवसाद से उबरने में मदद मिल सकती है. 

  • परिवार और स्कूल का सहयोग: घर और स्कूल दोनों जगह से सपोर्ट मिलने पर बच्चे बेहतर महसूस कर सकते हैं और जल्दी स्वस्थ हो सकते हैं.

  • घर के लोगों का ध्यान और समर्थन: माता-पिता और घर के लोगों को बच्चों के साथ खुलकर बातचीत करनी चाहिए. उन्हें बच्चों की भावनाओं पर ध्यान देना चाहिए और उन्हें अपनी समस्याएं बताने के लिए उत्साहित करना चाहिए. 


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