Sound sleep Benefits: वर्ल्ड स्लीप डे हर साल 17 मार्च को मनाया जाता है. इस दिन से समझ आता है कि जीवन में नींद की अहमियत क्या है? जो लोग सही ढंग से सो नहीं पाते हैं. उनका स्वास्थ्य अकसर खराब रहता है. चेहरे पर तनाव अलग दिखता है. झुर्रिया आ जाती हैं. पेट संबंधी दिक्कतें भी देखने को मिलती है. जो लोग स्वस्थ्य नींद लेते हैं. उनके चेहरे पर अलग तरह की शाइन होती है. हेल्दी होते हैं और ब्रेन भी अधिक एक्टिव रहता है. भारतीयों पर लोकल सर्कल्स के स्तर से एक सर्वे किया गया. सर्वे में सामने आया कि 55 प्रतिशत लोग 6 घंटे तक बिना किसी बाधा के सो रहे हैं तो कोविड के बाद 28 प्रतिशत का पैटर्न खराब हो गया है.  


कोविड के बाद 28 प्रतिशत की नींद खराब


सर्वे में यह भी देखा गया है कि पिछले कुछ सालों में लोगों के सोने के तौर तरीके में बदलाव आया है या नहीं? 59 प्रतिशत ने बताया कि उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं हुई. पहले जैसी ही नींद आ रही है. 7 प्रतिशत की नींद वर्क फ्रॉम होम के कारण सुधर गई. 28 प्रतिशत का कोरोना के बाद सोने का पैटर्न खराब हो गया. 6 प्रतिशत ने नींद को लेकर कोई स्थिति स्पष्ट नहीं की. 


इन वजहों से डिस्टर्ब हुई नींद


61 प्रतिशत का सामने आया कि बार बार टॉयलेट जाने की वजह से नींद डिस्टर्ब हुई. 27 प्रतिशत ने बताया कि देर से सोना और सुबह उठते ही घर के कामों से भी परेशानी हुई. अन्य 27 प्रतिशत ने बताया कि मच्छर और बाहर की आवाजों से नींद में खलल पड़ा. 20 प्रतिशत लोग स्लीप एप्नीयिा और दूसरी बीमारी के कारण परेशान रहे. 12 प्रतिशत बच्चे या पेरेंटस की वजह से और 14 प्रतिशत ने बताया कि मोबाइल कॉल या मैसेज के कारण नींद डिस्टर्ब हुई थी. 


पिछले 12 महीने में नींद की स्थिति


सर्वे में देखा गया है कि पिछले 12 महीने में लोग किस तरह से सो रहे थे. उन्हें क्या क्या परेशानी आई. इसमें सामने आया कि 2 प्रतिशत लोगों ने आठ से 10 घंटे, 21 प्रतिशत 4 घंटे, 34 प्रतिशत 4 से 6 घंटे, 43 प्रतिशत ने 6 से 8 घंटे की नींद ली थी.