World Breastfeeding Week: 'वर्ल्ड ब्रेस्टफीडिंग वीक'यह एक ऐसा कार्यक्रम है जो हर साल अगस्त पहले हफ्ते के पूरे 7 दिन तक मनाया जाता है. हफ्तेभर चलने वाला यह कार्यक्रम मां और शिशु दोनों के लिए बेहद जरूरी है. यह कार्यक्रम का मुख्य उद्दश्य है पूरी दुनिया को ब्रेस्टफीडिंग एक बच्चे और मां के लिए कितना जरूरी है उसे लेकर जागरूकता फैलाना. इस कार्यक्रम में बताया जाता है कि एक शिशु के ऑलओवर ग्रोथ के लिए ब्रेस्टफीडिंग कितना जरूरी है उससे अवगत कराना. आज हम इस आर्टिकल के जरिए बताएंगे ब्रेस्टीफीडिंग से जुड़ी 5 ऐसे मिथ हैं जिसे अक्सर सच समझकर लोग यकिन कर लेते हैं. साथ ही कई महिलाएं इन मिथ को आंख बंदकर करके विश्वास करती हैं. अक्सर ब्रेस्टफीडिंग मां और बच्चे के बीच का स्पेशल कनेक्शन है. लेकिन यह कई मिथ से भी घिरा हुआ रहता है. 


आइए जानें कौन सा मिथ है जिससे ब्रेस्टफीडिंग घिरा हुआ है


ब्रेस्टफीडिंग दर्दनाक होता है


ब्रेस्टफीडिंग को लेकर मिथ यह है कि यह काफी ज्यादा दर्दनाक होने के साथ-साथ असुविधाजनक होता है. लेकिन यह बिल्कुल भी सच नहीं है. शुरुआती के कुछ हफ्ते थोड़ा ब्रेस्ट में दर्द रहता है लेकिन बाद में यह काफी ज्यादा आरामदायक और मजेदार होता है. आपको अगर ब्रेस्टीफीडिंग कराते वक्त काफी ज्यादा दर्द हो रहा है तो आप डॉक्टर से सलाह ले सकते हैं. 


आपके पास परफेक्ट एक तरीका होनी चाहिए


एक और मिथक यह है कि सफलतापूर्वक स्तनपान कराने के लिए आपके पास एक खास तरीका होनी चाहिए. हालांकि यह सच है कि सही तरीके से बैठाने से दूध उत्पादन में मदद करती है और निपल्स में दर्द को रोकती है, लेकिन सफल स्तनपान के लिए यह आवश्यक नहीं है.


सभी महिलाएं स्तनपान करा सकती हैं
दुर्भाग्य से, सभी महिलाएं सफलतापूर्वक स्तनपान कराने में सक्षम नहीं हैं.कुछ महिलाओं के लिए, चिकित्सीय स्थितियां और दवाएं उनके बच्चों के लिए पर्याप्त दूध का उत्पादन करना मुश्किल बना सकती हैं.अन्य समय में, शारीरिक सीमाएं या स्वास्थ्य समस्याएं स्तनपान को और अधिक कठिन बना सकती हैं.यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि भले ही आप स्तनपान नहीं करा सकती हैं, फिर भी आपके बच्चे को पोषण और पौष्टिक बंधन अनुभव प्रदान करने के अन्य तरीके हैं.यदि स्तनपान कोई विकल्प नहीं है तो अपने आप पर ज़्यादा कठोर न बनें.


स्तनपान आपके स्तनों को नुकसान पहुंचा सकता है


एक आम मिथक यह है कि स्तनपान कराने से आपके स्तनों को नुकसान होगा या उनमें ढीलापन आ जाएगा, लेकिन यह सच नहीं है.वास्तव में, स्तनपान वास्तव में आपके स्तनों के आकार और आकार को बनाए रखने में मदद कर सकता है क्योंकि यह उन्हें सुडौल बनाए रखने में मदद करता है.समय के साथ आपके स्तनों का आकार स्वाभाविक रूप से बदल सकता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि स्तनपान कराने से उनमें ढीलापन आ जाएगा या वे क्षतिग्रस्त हो जाएंगे.यदि आपको ऐसा लगता है कि स्तनपान के बाद आपके स्तन ढीले हो रहे हैं, तो संभावित कारणों और समाधानों के बारे में अपने डॉक्टर से बात करें.


फॉर्मूला मिल्क मां के दूध के इतना ही अच्छा होता है


एक आम मिथक यह है कि फॉर्मूला मिल्क आपके बच्चे के लिए स्तन के दूध जितना ही अच्छा होता है.हालांकि फॉर्मूला शिशु को पोषण प्रदान कर सकता है, लेकिन यह मां के दूध के समान कई लाभ प्रदान नहीं करता है.मां के दूध में एंटीबॉडी और अन्य पोषक तत्व होते हैं जो बच्चों को कई बीमारियों से बचाने में मदद कर सकते हैं.साथ ही, यह मां और बच्चे के बीच महत्वपूर्ण जुड़ाव अनुभव प्रदान करता है.इसलिए जबकि फॉर्मूला का उपयोग कुछ स्थितियों में किया जा सकता है, इसे स्तन के दूध के पूर्ण विकल्प के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


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