Breastfeeding Awareness: अगस्त के पहले सप्ताह को वर्ल्ड ब्रेस्ट फीडिंग वीक के रूप में मनाया जा रहा है. इस बार इसकी थीम है 'स्तनपान के लिए कदम: शिक्षा और समर्थन' यानी 'Step up for Breastfeeding: Educate and Support'. ब्रेस्ट फीडिंग बच्चे की सेहत के साथ ही मां की सेहत के लिए भी जरूरी होती है. हालांकि इस दौरान मां को कुछ बातों का खास ध्यान रखना होता है. ताकि वह खुद और उनका बच्चा दोनों को ही एनीमिया (Anemia) की समस्या न हो.


ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान आमतौर पर महिलाओं के शरीर में आयरन (Iron) और कैल्शियम (Calcium) की कमी हो जाती है. जिस कारण बच्चे में भी इन पोषक तत्वों (Nutrition) का अभाव होने लगता है. यदि समय से ध्यान न दिया जाए तो मां और बच्चे दोनों को ही एनीमिया की समस्या हो सकती है. बच्चे को दूध पिलाने वाली माओं को अपनी डायट में किन बातों का ध्यान रखना चाहिए, इस बारे में बता रही हैं गायनेकॉलजिस्ट ऐंड लेप्रोस्कोपिक सर्जन डॉक्टर सोनिया चावला.


क्यों हो जाता है एनीमिया?


ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं की डायट में यदि आयरन, कैल्शियम और विटामिन-डी के पोषण का पूरा ध्यान न रखा जाए तो उन्हें एनीमिया की समस्या हो सकती है. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान कैल्शियम और आयरन का सीक्रेशन भी होता है. यानी दूध के साथ ये पोषक तत्व भी महिलाओं के शरीर से बाहर निकलते हैं. ऐसे में उनके अपने शरीर को यदि सही डायट ना मिले तो एनीमिया की समस्या हो जाती है.


हड्डियां हो सकती हैं कमजोर
डॉक्टर सोनिया का कहना है कि सिर्फ एनीमिया ही नहीं यदि ब्रेस्ट फीडिंग के दौरान संतुलित और पौष्टिक डायट ना मिले तो महिलाओं की हड्डियां कमजोर हो जाती हैं. क्योंकि दूध के साथ निकलने वाले कैल्शियम का सीक्रेशन उनकी बोन्स से होता है. यही वजह है कि कैल्शियम आपको अपनी डायट में जरूर लेना चाहिए.


क्यों जरूरी है विटामिन-डी?
ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं के लिए विटामिन-डी की इंपॉर्टेंस के बारे में बात करते हुए डॉक्टर चावला कहती हैं कि शरीर में कैल्शियम का एब्जॉर्वशन तभी होता है, जब शरीर में विटामिन-डी सही मात्रा में उपलब्ध हो. अन्यथा आप कितने भी कैल्शियम सप्लिमेंट्स लें यदि विटामिन-डी की कमी होगी तो शरीर को इस कैल्शियम का पूरा लाभ नहीं मिल पाएगा.
 
क्या खाएं ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली माएं?


ब्रेस्ट फीडिंग कराने वाली महिलाओं के लिए संतुलित डायट पर बात करते हुए डॉक्टर चावला ने कहा कि हरी पत्तेदार सब्जियां खाएं (Green leafy vegetables) , मखाना, छुआरे, मुनक्का जैसे ड्राइफ्रूट्स लें. खाना लोहे की कड़ाही में बनाकर खाएं. डेयरी प्रॉडक्ट्स का सेवन करें. दाल और दलिया जैसी चीजें हर दिन की डायट में शामिल करें. इसके साथ ही भोजन करने के आधा से एक घंटे बाद तक चाय का सेवन ना करें. ऐसा करने से भोजन से मिलने वाले पोषक तत्वों और आयरन का एब्जॉर्बशन कम हो जाता है.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताए गए दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर से मिलकर उनकी व्यक्तिगत सलाह जरूर लें. 


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