Depression: महिलाओं की मेंटल हेल्थ को लेकर एक सावधान करने वाली रिसर्च रिपोर्ट सामने आई है. जिसमें बताया गया कि ऐसे महिलाएं जो डिप्रेशन में हैं, उन्हें कार्डियोवैस्कुलर डिजीज यानी दिली की बीमारियों (Cardiovascular Risks) का रिस्क सबसे ज्यादा रहता है. JACC एशिया में पब्लिश इस रिसर्च रिपोर्ट में महिलाओं और पुरुषों में कार्डियोवैस्कुलर डिजीज (CVD) की जांच की गई. इसमें पता चला कि डिप्रेशन से पीड़ित पुरुष में हार्ट डिजीज का खतरा 1.39% महिलाओं में 1.64 था. इतना ही नहीं पुरुषों की तुलना में महिलाओं में स्ट्रोक, हार्ट फेल्योर, मायोकार्डियल इंफार्क्शन, एनजाइना पेक्टोरिस और एट्रियल फाइब्रिलेशन का जोखिम भी ज्यादा था.

 

महिलाओं को डिप्रेशन ज्यादा क्यों

एक्सपर्ट्स के अनुसार, महिलाओं की पूरी लाइफ में कई बदलाव आते हैं. प्रेगनेंसी से लेकर मोनोपॉज तक का सामना करना पड़ता है. उन्हें कई हार्मोनल बदलाव से भी गुजरना पड़ता है. इस जवह से वे डिप्रेशन का शिकार सबसे ज्यादा होती हैं. ऐसा इसलिए क्योंकि साइटोकाइन जैसे खतरनाक हॉर्मोन का सीधा असर हार्ट पर ही होता है. एक्सपर्ट्स का कहना है कि जब महिलाएं मां बनती हैं तो कुछ बच्चों को संभालने के वक्त ये मानने लगती हैं कि अब वे कुछ करने लायक नहीं बची है. अब सबकुछ पहले जैसा नहीं रहा है. इसे पोस्टपार्टम डिप्रेशन भी कहते हैं. इससे महिलाएं मायूस रहने लगती हैं. उनमें तनाव, चिड़चिड़ापन और गुस्सा होता है. करीब 50-60 प्रतिशत महिलाओं में ऐसा होता है.

 

महिलाओं में डिप्रेशन की ये भी वजह

हेल्थ एक्सपर्ट्स का मानना है कि महिलाओं का डिप्रेशन में जाने का एक कारण मेल डॉमिनेटेड सोसाइटी भी है. जहां उन पर कई सामाजिक प्रेशर रहता है. उन्हें कई भेदभाव का सामना करना पड़ता है. जिससे उन्हें मेंटल हेल्थ जैसी समस्याओं से गुजरना पड़ता है. 

 

डिप्रेशन और दुनिया

WHO की एक रिपोर्ट के मुताबिक, मौजूदा समय में दुनिया में करीब 30 करोड़ लोग डिप्रेशन से जूझ रहे हैं. पुरुषों की तुलना में महिलाओं में डिप्रेशन करीब 50% है. इनमें 10 प्रतिशत से ज्यादा गर्भवती और हाल ही में मां बनी महिलाएं हैं. डिप्रेशन की वजह से हर साल 7 लाख से ज्यादा लोग सुसाइड कर लेते हैं. भारत में भी ये समस्या तेजी से बढ़ रही है.

 

मेंटल हेल्थ बढ़ने का कारण क्या है

एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत में कुल हेल्थ बजट का एक प्रतिशत से भी कम मानसिक सेहत पर खर्च किया जाता है. जबकि दुनिया के बाकी देश अपनी जीडीपी का 5-18 प्रतिसत तक मेंटल हेल्थ पर खर्च करते हैं. Sage Journal की 2023 की एक रिपोर्ट में बताया गया कि मेंटल हेल्थ के इलाज कराते-कराते करीब 20 प्रतिशत भारती परिवार गरीब हो जाते हैं. इसलिए हेल्थ एक्सपर्ट्स इस पर और भी ज्यादा पहल करनी चाहिए.


Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.


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