Wristband Benefits In Weightlifting: सेहत बनाने के लिए आजकल जिम में एक्सरसाइज करने का दौर है.जिम में वेटलिफ्टिंग करके लोग मसल्स बनाते हैं और इससे बॉडी मजबूत होती है. ऐसे में जो लोग अपने शरीर को मजबूत बनाना चाहते हैं, वो अधिकतर वेट लिफ्टिंग ही करते हैं. लेकिन वेटलिफ्टिंग के दौरान अधिकतर लोग कलाइयों पर रिस्ट बैंड पहनने पर गौर नहीं करते. लोग सोचते हैं कि वजन ही तो उठाना है, इसके लिए रिस्ट बैंड यानी रिस्ट रैप पहनने की क्या जरूरत है. लेकिन यहीं पर गलती हो जाती है. जिस तरह वॉकिंग के लिए सही माप के जूते जरूरी होते है, उसी प्रकार वेट लिफ्टिंग के लिए रिस्ट बैंड पहनना बहुत ही जरूरी होता है.एक्सपर्ट कहते हैं कि जब कोई वेट लिफ्ट करता है तो वेट का 95 फीसदी भार उसके हाथों और कलाइयों पर पड़ता है. इसके अलावा क्रॉसफिट एक्सरसाइज जैसे रोप प्रैक्टिस और फ्लोर एक्सरसाइज करते समय भी हाथों पर ही सबसे ज्यादा दबाव पड़ता है औऱ इसलिए एक्सपर्ट इस वक्त रिस्ट बैंड या फिर रिस्ट रैप पहनने की वकालत करते हैं.अगर आप वेटलिफ्टिंग कर रहे हैं तो आज हम आपको बताते हैं कि वेट लिफ्ट करते समय रिस्ट बैंड पहनना क्यों जरूरी होता है.

 

कलाई की चोट से बचाती है रिस्ट बैंड

रिस्टबैंड वेटलिफ्ट के दौरान आपके हाथों और कलाइयों को चोट, मोच, तनाव, खिंचाव आदि तरह के जोखिम से बचाने का जरूरी काम करती है. रिस्टबैंड कलाई को जोड़ों को सपोर्ट देती है.जिनकी कलाई की हड्डी कमजोर होती है, या फिर मांसपेशियां और ऊतक कमजोर होते हैं, उन लोगों को रिस्ट बैंड से बहुत मदद मिलती है.ऐसे में झटका लगने से कलाई पर मोच या खिंचाव का जोखिम कम हो जाता है और आपकी कलाई सुरक्षित रहती है. 

 

मजबूत ग्रिप बनाने में मददगार

जब आप हाथों से डंबल या बारबेल्स या फिर रोप पकड़ते हैं तो रिस्ट बैंड की मदद से आपके हाथों से सही ग्रिप बन पाती है. कलाई को बेहतर सपोर्ट मिलने पर वेट लिफ्टिंग के उपकरणों पर सही ग्रिप बनाने  में मदद मिलती है औऱ इससे चोट लगने की संभावना या फिर उपकरणों के गिरने के जोखिम कम हो जाते हैं. 

 

कम होता है मांसपेशियों का खिंचाव

वेट लिफ्ट करते समय सबसे ज्यादा मामले मांसपेशियों में खिंचाव के आते हैं. कई बार मांसपेशियां इतनी खिंच जाती हैं कि कई हफ्तों तक डॉक्टर वेट लिफ्ट करने के लिए मना कर देते हैं. अगर आप रिस्ट बैंड पहनेंगे तो इससे आपकी मांसपेशियों के खिंचने के खतरे कम हो जाएंगे और आपकी मांसपेशियों के जख्मी या चोटिल होने की संभावना भी कम होगी.

 

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