TB Disease Treatment: दुनिया में हर साल सामने आने वाले नए टीबी मरीजों में से एक-तिहाई से ज्यादा सिर्फ दक्षिण-पूर्व एशिया में मिलते हैं. यह हिस्सा आबादी के लिहाज से दुनिया का सिर्फ चौथा हिस्सा है, लेकिन टीबी का बोझ यहां अनुपात से कहीं अधिक है. मंगलवार 18 नवंबर को जारी की गई अपनी ताजा रिपोर्ट में WHO ने इस स्थिति पर चिंता जताई और देशों से बीमारी को खत्म करने की दिशा में तेज कार्रवाई की अपील की.

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WHO के ग्लोबल ट्यूबरकुलोसिस रिपोर्ट 2025 के मुताबिक, साल 2024 में करीब 10.7 मिलियन लोग टीबी से इंफेक्टेड हुए और 12.3 लाख लोगों की मौत हुई. इनमें सबसे अधिक केस भारत के हैं लगभग 2.71 मिलियन. इसके बाद बांग्लादेश (3.84 लाख), म्यामांर (2.63 लाख), थाईलैंड (1.04 लाख) और नेपाल (67 हजार) का नंबर आता है.

WHO का क्या है कहना?

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WHO साउथ-ईस्ट एशिया की ऑफिसर-इन-चार्ज डॉ. कैथरीना बोह्मे ने कहा कि टीबी अब भी इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सुरक्षा और विकास के लिए बड़ी चुनौती बनी हुई है और सबसे ज्यादा असर गरीब आबादी झेल रही है. उनके मुताबिक बीमारी की रोकथाम, शुरुआती पहचान, तेज इलाज और मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य ढांचा ही सबसे असरदार उपाय हैं. लेकिन इन कदमों को बड़े पैमाने पर और तेज़ी से लागू करने की जरूरत है. रिपोर्ट बताती है कि साल 2024 में क्षेत्रीय तस्वीर काफी असमान रही. म्यामांर और तिमोर-लेस्ते में टीबी की दर अब भी बहुत ज्यादा है. हर एक लाख की आबादी पर 480 से 500 मामले. जबकि बांग्लादेश, भूटान, भारत, नेपाल और थाईलैंड में यह दर 146 से 269 के बीच रही. श्रीलंका और मालदीव अभी भी कम-इंसीडेंस वाले देश माने जाते हैं.

दक्षिण-पूर्व एशिया में सबसे बड़ी चुनौती

दक्षिण-पूर्व एशिया में एक और बड़ी चिंता ड्रग-रेजिस्टेंट टीबी है. 2024 में यहां ऐसे 1.5 लाख नए मामले अनुमानित हैं. हालांकि 2015 के बाद से क्षेत्र ने टीबी संक्रमण दर में 16 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की है, जो वैश्विक औसत 12 प्रतिशत से बेहतर है. लेकिन मौतों में कमी की रफ्तार अभी भी धीमी है. क्षेत्र की टीबी इन्सीडेंस रेट 201 प्रति लाख है, जो वैश्विक औसत 131 से कहीं ऊपर है. कुछ देशों ने बेहतरीन प्रगति भी दिखाई है. बांग्लादेश, भारत और थाईलैंड ने अनुमानित केसों की तुलना में अधिक मरीजों की पहचान की है, जिससे डिटेक्शन गैप कम हुआ है. टीबी से होने वाली मौतों में भी 2015 के मुकाबले कमी देखी गई है. खासकर कोविड के बाद जब टीबी सेवाएं दोबारा पटरी पर आईं. इलाज कवरेज 85 प्रतिशत पार कर चुका है और सफलता दर दुनिया में सबसे बेहतर मानी जा रही है. एचआईवी मरीजों और घर के संपर्कों के लिए प्रिवेंटिव थेरेपी भी तेजी से बढ़ी है.

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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.