लोगों के फिटनेस के प्रति रुझान लगातार बढ़ रहा है. लोग घर में बचे हुए रहते हैं को अपने विचार में प्रयोग करते हैं. दोस्ती में लहसुन भी आता है. काले रंग वाले लहसुन के बारे में तो सब जानते हैं लेकिन आपने काले रंग वाले लहसुन के बारे में क्या सुना है. यह हमारे शरीर में मेटाबॉलिज्म को ठीक करता है.
यह साधारण लहसुन से बिल्कुल अलग होता है. साधारण लहसुन को बनाने के लिए इसे सही मात्रा में गर्मी और मसाले में रखा जाता है. इस संरचना के कारण इसमें जो परिवर्तन होता है, वह बिल्कुल वैसा ही होता है जैसा कि होता है. इसकी वजह से आम लहसुन की फलियां काले रंग की और चिपचिपी हो जाती है.
काला और सफेद लहसुन
डॉक्टरों का कहना है कि घर में पाए जाने वाले सफेद लहसुन में जो तेज गंध और रोगाणुरोधक गुण होता है. वह शामिल है जाने वाले एलिसिन का कारण होता है. ऐलिस करेइन की तो वह पेट के लिए काफी नुकसान पहुंचाने वाली बात होती है.
दूसरी तरफ काले लहसुन में एलिसिन फर्मेंटेशन के कारण बड़े पैमाने पर और शरीर में आसानी से ऑटोमोबाइल हो जाने वाले एंटीऑक्सीडेंट में बदलाव किया जाता है. एस-एलिल सिस्टीन (एसएसी) के विशेष गुण.
विशेषज्ञ का कहना है कि काले लहसुन में पाया जाने वाला सैक रॉ लहसुन में पाया जाने वाला सबसे आसानी से शरीर में समा जाता है. इसलिए कई लोग इसके एंटीऑक्सीडेंट गुणधर्म के कारण अपने अंतर्वस्तु में शामिल होते हैं.
यह हमारे पेट के अंदर सफेद लहसुन के कारखाने से सबसे ज्यादा आसानी से पच जाता है. इसलिए कई लोग प्रतिदिन इसे अपनी-अपनी सामग्री में पाते हैं. यह आपको आसानी से मिल जाएगा.
क्या है एक्सपर्ट्स की राय?
एक्सपर्ट का कहना है कि काला लहसुन एंटी इन्फ्लेमेटरी होता है. यह हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाता है. इसके अलावा यह हमारे शरीर में हृदय और लीवर को स्वस्थ बनाता है. कैंसर जैसे रोगों से लड़ने के लिए भी इसका प्रयोग किया जा सकता है.
किसे नहीं खाना चाहिए?
वह व्यक्ति जिनका पतला खून हो, उनको इसका सेवन कम करना चाहिए. इसके अलावा जिनका पेट आसानी से खराब हो जाता है उन्हें भी काला लहसुन खाने से बचना चाहिए. किसी भी चीज को अपने डाइट में इसलिए शामिल नहीं करना चाहिए क्योंकि वह ट्रेंडिग है. आपको हमेशा कोशिश करनी चाहिए कि किसी भी चीज को डाइट में शामिल करने से पहले आप डॉक्टर की सलाह लें.
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