Health Tips: जिस तरह से हमारे स्वस्थ रहने के लिए अच्छी जीवनशैली और खानपान और अच्छी नींद जरूरी है उसी तरह से हमारा पेट साफ रहना भी अच्छे स्वास्थ्य की तरफ इशारा है. एक स्वस्थ इंसान को 24 घंटे में न्यूनतम 2 बार मल त्यागना चाहिए, क्योंकि इससे पेट साफ रहता है.अगर पेट साफ है तो आप बिल्कुल स्वस्थ हैं. क्योंकि कि पेट को ही हर बीमारी की जननी कहा जाता है, हालांकि आजकल अनियमित जीवनशैली के कारण लोग कई कई दिनों तक माल नहीं त्याग पाते हैं, अब जरा सोचिए कोई कई दिनों तक पॉटी न जाए तो क्या होगा?


पॉटी कई दिनों तक ना जाने पर क्या होता है?


पॉटी नहीं जाने से कब्ज की समस्या होती है. इसकी वजह से आपका पाचन क्रिया गड़बड़ा जाता है. सिर दर्द होना, गैस बनना, पेट में गैस बनना, भूख कम होना, कमजोरी महसूस होना और जी मिचलाना जैसी समस्याएं हो सकती है. इसी तरह से चेहरे पर मुंहासे निकलना काले दाग पैदा होना, पेट में भारीपन महसूस होना, इसके अलावा जीभ का रंग सफेद या मटमैला हो जाना, मुंह से बदबू आना, कमर दर्द होना,मुंह में बराबर छाले हो जाना और भी कई लक्षणों का सामना करना पड़ सकता है


कब्ज होने पर आंत कैसे प्राभावित होता है?


जब आप मल नहीं त्याग पाते हैं तो कब्ज होता है, रोगी की बड़ी आंत तक पहुंचने से पहले ही कठोर हो जाता है और यह आंतो पर चिपक जाता है जो कठोर होने की बाहर नहीं निकलता है. इसमें बड़ी आंत के संकुचन और विमोचन का कार्य भी धीमा हो जाता है. मल बड़ी आंत के पहले ही कठोर अवस्था में होता है, तो इससे गैस की समस्या पैदा होने लगती है.कुछ रोगियों को गैस की समस्या से दिल का दर्द भी होता है


मानसिक प्रभाव


मानसिक प्रभाव भी खूब पड़ता है जैसे नींद ना आना, उदासी, बेवजह चिंता होना, निराशा किसी भी काम में मन ना लगना, भूख ना लगना. रिपोर्ट बताती है कि सेरोटोनिन नाम का एक हार्मोन हमारे मन को खुश रखता है कब्ज के कारण उसके स्राव  में कमी आ जाती है और लोग उदास रहने लगते हैं. बार-बार चिंता तनाव अवसाद और हाई ब्लड प्रेशर जैसी समस्या हो सकती है.बता दें कि आप खाएं या ना खाएं पेट में आंते लगातार अपना काम करती रहती है यही वजह है कि आपके मल में मात्र एक तिहाई हिस्सा ही फूड वेस्ट होता है. इसमें मृत और अच्छे बैक्टीरिया के साथ-साथ आंतों के अंदर की खाल के हिस्से भी होते हैं जो त्वचा चमड़ी की तरह लगातार निकलते रहते हैं, ऐसे में जब वेस्ट मटेरियल नहीं निकल पाएगा तो आपको ये सारी समस्याएं होने लगेंगी


पॉटी को रोक कर रखने से क्या होता है


 पॉटी को अक्सर रोक कर रखने से असंयम हो सकता है, जिसमें मल कठोर होना, कोलन या मलाशय में फंस जाती है इसके अलावा गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल ट्रैक की दीवार में छेद भी हो सकता है. जब कोई व्यक्ति मलाशय के अंदर सेंशेन खो बैठता है तो उसे असंयम की परेशानी शुरू हो जाती है, इस स्थिति को रेक्टल हाइपोसेनसिटी भी कहा जाता है.रिपोर्ट के मुताबिक कोलन में बढ़ा हुआ मल्हार बैक्टीरिया को बढ़ा सकता है और कोलन में लंबे वक्त के लिए सूजन पैदा कर सकता है. कोलन में सूजन से पेट के कैंसर के विकास का खतरा बढ़ जाता है. अध्ययनों में पॉटी को रोककर रखने और अपेंडिसाइटिस और बवासीर के बीच संबंध को दर्शाया गया है.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.



ये भी पढ़ें: रूम हीटर के इस्तेमाल से छिन सकती है आपकी सांसे..हो सकते हैं ये 5 बड़े नुकसान