What Should Eat On MahaShivaratri: महाशिवरात्री पर रामदाना, होली पर गुजिया और दीपावली पूजा में खीर, जन्माष्टमी में पंजीरी, रक्षाबंधन पर घेवर-फीणी और सकट चौथ पर रोट बनाकर भगवान को भोग लगाया जाता है और फिर प्रसाद के रूप में हम सभी लोग इन्हें खाते हैं... ज्यादातर लोगों को यही लगता है कि इस त्योहार पर ये बनेगा और उस त्योहार पर वो बनेगा, ये सभी सिर्फ मान्यताओं पर आधारित बाते हैं! हालांकि ऐसा है नहीं... आपकी जानकारी के लिए बता दें हमारे देश में पारंपरिक रूप से जितने भी त्योहार मनाए जाते हैं, उनमें बनने वाले पकवान आयुर्वेद पर आधारित होते हैं और मौसम तथा ऋतु को ध्यान में रखकर बनाए जाते हैं...


शिवरात्री पर क्यों खाते हैं रामदाना लड्डू?


शिवरात्री पर भगवान शिव को जो भोग-प्रसाद चढ़ाया जाता है, उसमें रामदाना लड्डू, बेर, भांग, धतूरा, बिल्व पत्र प्रमुख हैं. इनमें रामदाना लड्डू को छोड़कर बाकी सभी शीतल प्रकृति के फूड्स हैं. यानी इन्हें खाने के बाद शरीर को ठंडक मिलती है. जबकि रामदाना खाने के बाद शरीर में गर्माहट आती है.


रामदाना लड्डू तासीर में गर्म होते हैं लेकिन फाइबर से भरपूर होते हैं. शिवरात्री पर इनका सेवन दूध के साथ किया जाता है. इसलिए बदलते हुए मौसम के अनुसार ये स्टमक और डायजेशन के लिए हेल्दी हो जाते हैं. क्योंकि दूध रामदाना के लड्डुयों के गुणों को बढ़ाकर इसकी गर्माहट को बैलंस करने का काम करता है.


महाशिवरात्री पर रामदाना लड्डू खाने के फायदे?


शिवरात्री आमतौर पर फरवरी के महीने में ही आती है. इस समय पर कड़ाके की सर्दी जा चुकी होती है और मौसम में गुलाबी ठंड होती है. बदलते मौसम में हमेशा ही डायजेस्टिव सिस्टम यानी पाचनतंत्र स्लो हो जाता है. इसलिए ऐसे फूड्स खाने सलाह आयुर्वेद में दी गई है, जो सुपाच्य हों. यानी आसानी से पच जाएं और रामदाना ऐसा ही एक फूड है जो बहुत आसानी से पच जाता है.


रामदाना फाइबर से भरपूर होता है, दूध के साथ इसे खाने के बाद पेट जल्दी भर जाता है और देर तक भूख भी नहीं लगती. क्योंकि फाइबर पचता तो आसानी से है लेकिन इसे पचने में समय लगता है. 


रामदाना के लड्डू सभी लोग खाना पसंद करते हैं. कुछ लोग इसकी खीर और गुड़ चिक्की भी बनाते हैं. आप चाहे इसे किसी भी रूप में खाएं लेकिन इसके साथ में दूध का सेवन जरूर करें. ताकि पेट में गर्मी और सीने पर जलन की समस्या ना हो.


भारतीय त्योहारों पर पारंपरिक खान-पान


महाशिरात्री की तरह होली पर गुजिया खाई जाती हैं. यानी ये एक पारंपरिक सिंबल होता है कि अब आप हेवी फूड्स का सेवन कर सकते हैं. क्योंकि गुजिया में डलने वाला मावा मावा काफी हेवी होता है और इसे पचने में समय लगता है. 


दीपावली पर खीर-पूड़ी बनाई जाती हैं, खीर में मेवे और ड्राइफ्रूट्स डलते हैं जबकि पूड़ी डीपफ्राई करके तैयार होती हैं. इस त्योहार पर इस फूड को पारंपरिक रूप से बनाया जाता है, जो इस बात का संकेत देता है कि सर्दियां आ रही हैं और अब आप हेवी फूड आसानी से खा सकते हैं. क्योंकि सर्दियों में डायजेशन बहुत फास्ट होता है और बॉडी आसानी से ऐसा भोजन पचा लेती है.
 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.


यह भी पढ़ें: बढ़ जाती हैं धड़कने और अटकने लगता है सांस...परफॉर्मेंस एंग्जाइटी से बचने के लिए बेस्ट है ये तरीका