गुजरात से एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है. इस घटना से पूरा भारत दहला हुआ है.  खबर यह है कि दो नाबालिगों की हार्ट अटैक से मौत हो गई है. एक मृतक की उम्र 14 साल की है तो वहीं दूसरे मृतक की उम्र 17 साल की है. दोनों बच्चों की मौत से परिवार वाले में मातम पसरा हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक जूनागढ़ जिले के चोरवाड के पास नारियल के खेत में अचानक से 17 साल के लड़के का कार्डियक अरेस्ट के चलते मौत हो गई है. आज हम बात करेंगे बच्चों को दिल की बीमारी कैसे हो सकती है?


जन्मजात दिल की बीमारी


जन्मजात हृदय रोग (सीएचडी) एक प्रकार का दिल की बीमारी है. इसका अर्थ है कि कोई व्यक्ति इस बीमारी के साथ ही पैदा होता है. यह बीमारी जन्म के समय से ही बच्चे के शरीर में होता है या यूं कहें कि कोई बच्चा यह बीमारी लेकर ही पैदा होता है. अमेरिका में हर साल पैदा होने वाले 1 प्रतिशत शिशुओं में सीएचडी की बीमारी होती है. बच्चों और किशोरों को सीएचडी जैसी बीमारी आसानी से प्रभावित कर सकती हैं. इस बीमारी में दिल के वाल्व में ब्लड सर्कुलेशन में गड़बड़ी होती है. इस बीमारी में दिल के अंदर व्लव में ब्लड सर्कुलेशन संकुचित हो जाता है. हाइपोप्लास्टिक लेफ्ट हार्ट सिंड्रोम, जहां हृदय का बायां हिस्सा अविकसित होता है.


जन्मजात दिल के अंदर छेद


इस बीमारी के अंदर दिल में छेद या दिल में होने वाले ब्लड सर्कुलेशन संकुचित होने लगते हैं. वेंट्रिकुलर सेप्टल दोष, आलिंद सेप्टल दोष, मरीज की धमनी वाहीनी. फैलोट की टेट्रालॉजी, जो चार दोषों का एक संयोजन है, जिसमें शामिल हैं.
वेंट्रिकुलर सेप्टम में एक छेद, दाएं वेंट्रिकल और फुफ्फुसीय धमनी के बीच एक संकीर्ण मार्ग, हृदय का दाहिना भाग मोटा होना होता है. 


इस बीमारी में 5 साल के बच्चे को भी पड़ सकता है हार्ट अटैक


जन्मजात दिल की बीमारी आपके हेल्थ पर लंबे समय तक प्रभाव डाल सकता है. उनका इलाज आमतौर पर सर्जरी, कैथेटर प्रक्रियाओं, दवाओं और गंभीर मामलों में हार्ट ट्रांसप्लांट के जरिए ही ठीक किया जा सकता है. सीएचडी होने पर किसी इंसान को पूरी उम्र दवाई के सहारे जिंदा रहना पड़ता है. कावासाकी बीमारी एक दुर्लभ और गंभीर बीमारी है जो खास 5 साल से कम उम्र वाले बच्चों को अपनी गिरफ्त में लेती है. इस बीमारी में ब्लड सर्कुलेशन में सूजन पैदा हो जाता है. जिसकी वजह से बच्चों को कम उम्र में ही हार्ट अटैक पड़ने लगता है.


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 


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