Winter Cold Wave: दिल्ली समेत पूरा उत्तर भारत कड़ाके की ठंड की चपेट में है. शीतलहर (Cold wave) की वजह से अब तक कई लोग अपनी जान गंवा चुके हैं. मौसम विभाग की तरफ से रेड अलर्ट जारी किया गया है. इसका मतलब शीतलहर का खतरा बढ़ा हुआ है. ऐसे में खुद का ख्याल रखना जरूरी है. शीतलहर से बचने के लिए हर तरह के उपाय पर ध्यान देना चाहिए. लेकिन उससे पहले यह भी जानना चाहिए कि आखिर यह शीतलहर है क्या, यह कैसे आता है, इसके क्या-क्या नुकसान हो सकते हैं. आखिरी बार इसका प्रकोप सबसे ज्यादा कब था? आइए जानते हैं..

 

शीतलहर क्या है

सर्दी के मौसम में जब ठंडी हवाएं तेजी से चलने लगती हैं. तापमान में तेजी से गिरावट होने लगती है. तब इस स्थिति को शीतलहर कहते हैं. आसान शब्दों में कहें तो सर्दी के मौसम में जब न्यूनतम तापमान 10 डिग्री सेल्सियस से लेकर 4-5 डिग्री नीचे चला जाता है तो इसे शीतलहर कहा जाता है. 

 

शीतलहर खतरनाक क्यों होती है

जब किसी जगह का तापमान करीब 2-3 डिग्री सेल्सियस के आसपास पहुंच जाता है तो उसे सीवियर कोल्ड वेव कहा जाता है. ऐसी स्थिति में शरीर को कई तरह से नुकसान हो सकता है. कड़ाके की सर्दी की वजह से जान भी जा सकती है. शीतलहर को तापमान और अवधि के हिसाब से मापा जाता है. जो शीत लहर लंबे समय तक चले और तापमान में भी भारी गिरावट हो उसे ज्यादा खतरनाक माना जाता है. अभी दिल्ली में तापमान 1.5 डिग्री तक जा चुका है. बीते साल 2021 में भी दिल्ली में तापमान 1.1 डिग्री तक रिकॉर्ड किया गया था. इस दौरान लोगों के शरीर के इम्यून सिस्टम पर बुरा असर पड़ता है और साथ ही जान-माल का नुकसान भी हो सकता है.

 

शीत लहर के नुकसान

इम्यून सिस्टम कमजोर होने लगता है.

सर्दी में अटैक आने का खतरा बढ़ जाता है.

शीतलहर जानलेवा होती है. कई मौतें भी हो जाती हैं.

कई तरह की बीमारियां बढ़ने लगती हैं.

फसलें बर्बाद होने लगती है.

 

शीतलहर क्यों आती है

जब तापमान 4 डिग्री सेल्सियस से नीचे पहुंच जाए

आसमान साफ रहे, लेकिन ऊष्मा की कमी होने पर तापमान में तेजी से गिरावट हो.

मध्य पूर्व सागर के आने वाले पश्चिमी विक्षोभ की हवाएं भी शीतलहर लाती हैं.

प्रशांत महासागर में होने वाली अल नीनो से भी टेंपरेचर डाउन होता है और शीतलहर बढ़ती है.

 

शीतलहर से प्रभावित इलाके

शीत लहर का सबसे बुरा असर उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में मौजूद राज्यों पर पड़ता है. इनमें उत्तराखंड, दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात, बिहार, झारखंड, हिमाचल प्रदेश वगैरह आते हैं.

 

आखिरी बार कब पड़ी थी जबरदस्त ठंड

दिल्ली में अभी तक 8 जनवरी 2006 को बीते 20 सालों में सबसे ठंडे दिन के तौर पर रिकॉर्ड किया गया है. इस दिन यहां का तापमान 0.2 डिग्री तक पहुंच गया था. यह आज भी रिकॉर्ड है. उस दौरान दिल्ली के लोगों को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ा था.

 

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