शहरों में रहने वाले लोगों की थाली को देखकर लगता है कि खाने पीने में कोई कमी नहीं है. बाजार में तरह-तरह की फल, सब्जी, अनाज और प्रोटीन युक्त फूड उपलब्ध हैं. इसके बावजूद शहरी लोगों के पोषण पर हुई रिसर्च के आंकड़े कुछ और ही कहानी बताते हैं. नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूट्रिशन के अनुसार शहरी भारत में 73% लोग प्रोटीन की कमी से जूझ रहे हैं .

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शहरों में लोगों के पास अच्छी आमदनी और कई प्रकार के खाने की सुविधा है, फिर भी उनका आहार संतुलित नहीं है. एक्सपर्ट्स बताते हैं कि समस्या केवल खाने की मात्रा में नहीं बल्कि यह है कि लोग क्या खा रहे हैं. शहरों में लोग फैशनेबल और ट्रेडिंग फूड्स की ओर आकर्षित होते हैं, लेकिन इनका पोषण और गुणवत्ता अक्सर पर्याप्त नहीं होती.

पोषण की कमी और उसका असर

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शहरी डाइट में सिर्फ प्रोटीन ही नहीं बल्कि कई अन्य पोषक तत्वों की कमी भी आम मानी जाती है. शहरी लोगों में आयरन और विटामिन b12 की कमी आम है. खासकर शाकाहारी और वीगन लोगों में यह कमी होती है, जिससे ऊर्जा का लेवल प्रभावित होता है और सेहत पर इसका प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा शहरी लोगों में विटामिन डी की कमी भी ज्यादा मात्रा में पाई जाती है, क्योंकि ज्यादातर लोग बाहर कम निकलते हैं, जिससे उन्हें धूप कम मिलती है. इससे उनकी हड्डियों और इम्यून सिस्टम पर असर पड़ता है. मछली कम खाने और प्रोसेस्ड तेल ज्यादा खाने की वजह से शहरी लोगों में ओमेगा 3 फैटी एसिड की कमी भी आम मानी जाती है. रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग 56.4% लोग असंतुलित आहार ले रहे हैं. 

कैसे पूरा करें पोषण का गैप?

शहरी डाइट में पोषण की कमी को पूरा करने के लिए एक्सपर्ट्स कई चीजें अपनाने को कहते हैं. जैसे प्रोटीन सप्लीमेंट्स का सेवन कर मसल्स की सेहत और पर्याप्त प्रोटीन की आवश्यकता पूरी की जा सकती है. इसके अलावा विटामिन और मिनरल सप्लीमेंट्स के जरिए डाइट में मौजूद पोषण गैप को कम किया जा सकता है. वहीं, मल्टीविटामिन सप्लीमेंट्स से आयरन और विटामिन b12 की कमी पूरी की जा सकती है. शाकाहारी और वीगन लोगों के लिए खाने में विटामिन डी और b12 सप्लीमेंट्स बहुत जरूरी होते हैं.

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