बेंगलुरू में फैल रहा है H1N1, जानिए- इस बीमारी के लक्ष्ण क्या हैं और कैसे करें बचाव
एबीपी न्यूज़ | 21 Feb 2020 01:11 PM (IST)
तकनीकी रूप से एच1एन1 वायरस का संबंध सूअरों से होता है. इस लिए इस वायरस से होने वाली बीमारी को स्वाइन फ्लू कहा जाता है. इस वायरस की खोज वैज्ञानिकों ने 2009 में की थी.
बेंगलुरु: भारतीय सिलीकान वैली यानि बेंगलुरू में एच1एन1 इनफ्लूएंजा तेजी से फैल रहा है. शहर में काम करने वाली जर्मन की एक सॉफ्टवेयर कंपनी के दो कर्मचारी इस वायरस के चपेट में आ गए, जिसके बाद कंपनी ने एक नोटिस जारी करके अपने सभी कर्मचारियों को घर से ही काम करने को कहा है. हालांकि स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों का कहना है कि खतरे वाली बात नहीं है. तकनीकी रूप से एच1एन1 वायरस इनफ्लुएंजा का संबंध सूअरों से होता है. इस लिए इस वायरस से होने वाली बीमारी को स्वाइन फ्लू कहा जाता है. सूअरों से यह वायरस इंसानों में फैलता है. मुख्यरूप से यह किसानों और पशु डॉक्टरों से होता हुआ यह लोगों में फैलता है. एक इंसान से दूसरे इंसानों में यह वायरस तेजी से संक्रमण करता है. स्वाइन फ्लू के लक्षण स्वाइन फ्लू के मरीजों में पाए जाने वाले लक्षण अन्य संक्रामक बीमारियों की ही तरह होते हैं. फ्लू के शिकार व्यक्ति को बुखार आता है लेकिन यह लगातार न होकर आता जाता रहता है. इसके अलावा मरीज को गले में खराश की शिकायत रहती है. जुकाम बना रहता है, मांसपेशियों में दर्द और सिरदर्द की शिकायत रहती है. स्वाइन फ्लू के मरीज को ठंड लगने के साथ-साथ दस्त और उल्टी भी आती है. बीमारी बढ़ने के बाद मरीज को सांस लेने मे दिक्कत होती है. इसके अतिरिक्त-ब्लड में ऑक्सीजन की कमी, मानसिक अस्थिरता, शरीर में पानी की कमी का होना, गुर्दे में खराबी, डायबिटीज की शिकायत हो सकती है. स्वाइन फ्लू को रोकने का उपाय बीमारी को रोकने के लिए डॉक्टर फ्लू टीका वार्षिक फ्लू टीकाकरण की सिफारिश करते हैं. टीके को इंजेक्शन और नाक स्प्रे के रूप में लिया जा सकता है. लेकिन गर्भवती महिलाओं में स्प्रे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए. इसके अतिरिक्त निम्न उपायों द्वारा बीमारी को बढ़ने से रोका जा सकता है. 1. फ्लू से प्रभावित व्यक्ति को कहीं आने जाने से बचना चाहिए. बुखार उतरने के बाद कम से कम 24 घंटे तक घर पर रहें. 2. अपने हाथों को साबुन से अच्छी तरह से और बार-बार धोएं. 3. खांसी और छींक होने पर अपना मुंह और नाक ढक लें. और फेस मास्क पहनें. 4. भीड़ से दूर रहें. 2009 में एच1एन1 वायरस की हुई थी खोज एच1एन1 वायरस से होने वाली बीमारी की खोज वैज्ञानिकों ने 2009 में की थी. दरअसल यह वायरस सूअरों, पक्षियों और मनुष्यों में पाए जाने वाले वायरस का मिला-जुला स्वरूप है. 2009-10 में एच1एन1 से होने वाले फ्लू को स्वाइन फ्लू कहा गया. अगस्त 2010 में स्वाइन फ्लू से होने वाली बीमारी को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वैश्विक महामारी घोषित किया. 2010 एच1एन1 वायरस का बदला नाम 2010 में वैज्ञानिकों ने एच1एन1 वायरस का नाम बदल कर एच1एन1वी कर दिया. दरअसल वी जानवरों से मनु्ष्यों में होने का संकेत है. 2011 में इस बीमारी के लिए एक दूसरे वायरस एच3एन2वी का पता चला. 2018-19 में दोनों ही वायरस से होने बीमारी के लिए फ्लू वैक्सीन में शामिल किया गया. ये भी पढ़ें: जानिए कॉफी में क्या है खास, जो ब्लड में शुगर को करता है कंट्रोल पुणे से एक व्यक्ति के दिल को लाया गया दिल्ली, ग्रीन कॉरिडोर के जरिए पहुंचाया गया अस्पताल