Medical Students Suicude Cases: बीते कुछ दिनों में आए दिन अखबारों में डॉक्टरी कर रहे छात्रों की आत्महत्या की खबरें दिल दहला रही है. एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले अधिकतर छात्र इतने तनाव और काम के प्रेशर में रहते हैं कि वो अपने आप को संभाल नहीं पाते और घबरा कर जीवन को समाप्त करना ही उनको आसान लगने लगता है. पिछले पांच सालों में एमबीबीएस के छात्रों की आत्महत्या के मामले लगातार आए हैं औऱ इसी के जरिए इस विषय पर विशेषज्ञों ने गहन चिंतन भी किया है कि आखिर ऐसा हो क्यों रहा है. सूचना के अधिकार के तहत मांगी गई एक जानकारी में पिछले पांच साल में आत्महत्या करने वाले छात्रों का जो डेटा आया है वो चौंकाने वाला है. चलिए जानते हैं कि इस डेटा में क्या है और साथ ही ये भी जानेंगे कि डॉक्टरी की पढ़ाई कर रहे छात्र किन वजहों से आत्महत्या करने के लिए मजबूर हो रहे हैं. 

 

चौंका देगा मौत का आंकड़ा 

इस आरटीआई के तहत पूछा गया था कि पिछले पांच सालों में कितने मेडिकल स्टूटेंड्स के सुसाइड किया है. इसके जवाब में नेशनल मेडिकल कमिशन' और एजुकेशन रेगुलेटरी ऑथरिटी ने मिलकर पिछले पांच सालों में मेडिकल स्टूडेंट्स की सुसाइड का डेटा कलेक्ट किया है. इस जवाब में कहा गया है कि 2022 के अंत तक  359 मेडिकल स्टूडेंट्स ने अपनी जान दे दी है. इनमें 125 मेडिकल की पढ़ाई कर रहे छात्र हैं, 105 रेसिडेंशियल डॉक्टर हैं, और 128 डॉक्टर हैं. पिछले पांच सालों में 64 एमबीबीएस छात्रों ने अपनी जान दे दी है. इसके साथ साथ 55 पोस्ट ग्रेजुएट  स्टूडेंड भी सुसाइड कर चुके हैं. कहा जा रहा है कि छात्रों की बढ़ती आत्महत्या के चलते कई पेरेंट्स ने मिलकर आरटीआई दायर की थी और पूछा था कि मेडिल स्टूडेंट्स की मौत के पीछे क्या वजह है.

 

क्यों सुसाइड कर लेते हैं मेडिकल छात्र
  

इस रिपोर्ट के आधार पर वरिष्ठ डॉक्टरों का कहना है कि छात्रों की मौत के पीछे कोई एक वजह नहीं हो सकती है.तनाव, लगातार काम का प्रेशर, दिन और रात की कई घंटों की लंबी शिफ्ट, लगातार बिना आराम के काम करना, परिवार से दूर रहना, मानसिक तनाव, नींद की कमी, आर्थिक तंगी, परीक्षा का तनाव, रेगिंग, जातीय तौर पर भेदभाव, लैंगिक भेदभाव ऐसी कई वजहें हैं जो छात्रों को जान देने पर मजबूर कर देती हैं. 

 

ये है वो प्रेशर जो ले लेता है जान 

इसमें सबसे बड़ी वजह ये हो सकती है कि बच्चा एक्जाम पास करने की टेंशन को दूसरों के साथ बांट नहीं पाता. परिवार का भी दबाव रहता है औऱ ऐसे में अकेलेपन के चलते छात्र परेशान हो जाता है. कुछ साल पहले तक रेगिंग छात्रों की सुसाइड की एक बड़ी वजह हुआ करती थी लेकिन प्रशासन की सख्ती के बाद इस पर काफी हद तक रोक लगी है. सपने पूरे करने की चाह और सपने पूरे ना हो पाने का डर, सुसाइड की वजह बन जाता है. ऐसे में सही काउंसलिंग ना हो पाए तो स्थिति काफी बिगड़ जाती है. परिवार से दूर रहकर पढ़ाई का तनाव झेलते ये बच्चे अपनी व्यथा किसी से कह नहीं पाते और इसी के चलते अपनी जिंदगी खत्म कर लेते हैं.

 


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.