नई दिल्ली: हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली हमें कई बीमारियों से बचाती है. यहां तक कि यह प्रणाली कभी-कभी शरीर के खिलाफ हो सकती है और स्वस्थ कोशिकाओं पर हमला करके टिश्यू को नष्ट करके कई रोगों का कारण बन सकती है. इस स्थिति के चलते ऑटोइम्यून विकार (एआईडी) उत्पन्न हो सकता है. तनाव और अनहेल्दी फूड इसके मुख्य कारण हैं.


क्या कहती है रिसर्च-
चूहों पर किए गए एक हालिया शोध में पता चला है कि वीजीएलएल-3 नामक एक हाइली मॉलोक्यूलर स्विच, जो त्वचा कोशिकाओं में प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया जीन को नियंत्रित करता है, ऑटोइम्यून बीमारियों का कारण बनता है.


जेसीआई इनसाइट में प्रकाशित शोध के अनुसार, वीजीएलएल3 की भूमिका महत्वपूर्ण होती है. तीन साल पहले, यूनिवर्सिटी ऑफ मिशिगन के शोधकर्ताओं की एक टीम ने दिखाया कि महिलाओं में पुरुषों की तुलना में उनकी त्वचा की कोशिकाओं में वीजीएलएल3 अधिक होता है.


क्या कहते हैं एक्सपर्ट-
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष पद्मश्री डॉ. के.के. अग्रवाल का कहना है कि ऑटोइम्यून विकार अक्सर कई अन्य स्वास्थ्य स्थितियों की नकल करते हैं और इसलिए इनके लिए सटीक निदान खोजना कठिन होता है. वे शरीर के विभिन्न हिस्सों को प्रभावित कर सकते हैं. हालांकि, लंबे लक्षणों को देखना जरूरी है, खास कर जब वे लंबे समय तक रहें तो जांच करवानी चाहिए.


उन्होंने बताया कि ऑटोइम्यून विकार में मल्टिप्लेस्क्लेरोसिस, टाइप 1 डायबिटीज, रियूमेटाइड आर्थराइटिस और क्रोनिक थायरॉयडिटिस शामिल हैं. एआईडी के 80 मिलियन से अधिक प्रकार दुनिया भर में लगभग 100 मिलियन लोगों को प्रभावित करते हैं. भारत में, कम से कम 10 प्रतिशत आबादी ऐसी विभिन्न परिस्थितियों से पीड़ित है.


डॉ. के.के. अग्रवाल ऑटोइम्यून विकार (एआईडी) से बचने के लिए कुछ सुझाव दे रहे हैं जैसे-




  • एआईडी की रोकथाम में हमारे खाने के पैटर्न की प्रमुख भूमिका है. अनहेल्दी फूड से बचना आवश्यक है, क्योंकि प्रोसेस्ड फूड ना केवल सूजन पैदा कर सकते हैं, बल्कि इम्यून प्रतिक्रिया को भी बंद कर सकते हैं.

  • एक स्वस्थ और संतुलित आहार पेट के स्वास्थ्य और आगे, एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए चमत्कार कर सकता है. विटामिन ए और डी, सेलेनियम, जिंक, ओमेगा-3 फैटी एसिड, प्रो-बायोटिक्स, ग्लूटामाइन और फ्लैवोनोल जैसे आवश्यक पोषक तत्वों से भरपूर आहार से ऑटोइम्यून रोगों की रोकथाम की शुरूआत हो सकती है.

  • एक दिन में कम से कम 30 मिनट की शारीरिक गतिविधि में करना आवश्यक है, जो शरीर के प्राकृतिक सूजनरोधी तंत्र को मजबूत करने में मदद करता है.

  • तनाव सूजन का प्रमुख कारक है. इसलिए योग और ध्यान के रूप में व्यायाम का अभ्यास करना एक अच्छा विचार है.


ये खबर रिसर्च के दावे पर है, एबीपी न्यूज़ इसकी पुष्टि नहीं करता. किसी भी खबर या सलाह पर अमल करने से पहले एक्सपर्ट की राय जरूर लें.