Kidney Transplant Health: बिहार के पूर्व सीएम लालू प्रसाद की बेटी रोहणी आचार्य इस समय सुर्खियों में हैं. बिहार विधानसभा में आरजेडी की करारी हार के बाद परिवार के बीच अनबन देखने को मिली थी. उन्होंने परिवार से नाता तोड़ने के साथ-साथ राजनीति छोड़ने का एलान किया है. लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने 2022 में अपने पिता की जान बचाने के लिए अपनी एक किडनी डोनेट की थी. चलिए आपको बताते हैं कि एक किडनी डोनेट करने से कितनी उम्र बढ़ जाती है.
कितनी बढ़ जाती है उम्र?
किडनी ट्रांसप्लांट करवाने वालों के मन में सबसे बड़ा सवाल यही होता है कि ऑपरेशन के बाद कोई व्यक्ति कितने साल तक जी सकता है. इसका सीधा जवाब देना आसान नहीं होता, क्योंकि यह कई बातों पर निर्भर करता है किडनी कितनी अच्छी तरह मैच हुई, मरीज की पुरानी बीमारियां क्या हैं और शरीर नई किडनी को कैसे स्वीकार करता है.
praram9 हॉस्पिटल के अनुसार, अगर किडनी किसी नजदीकी रिश्तेदार से मिलती है और टिश्यू मैच अच्छा होता है, तो उसके लंबे समय तक ठीक चलते रहने की संभावना कहीं ज्यादा होती है. ऐसे मामलों में मरीज की उम्र बढ़ने और जीवन की गुणवत्ता बेहतर होने की उम्मीद भी अधिक रहती है. वहीं, यदि किडनी किसी गैर-रिश्तेदार या मरे हुए दाता से मिलती है, तो सफलता दर थोड़ी कम हो सकती है, लेकिन फिर भी परिणाम काफी अच्छे ही माने जाते हैं.
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद बढ़ी जिंदगी
थाई ट्रांसप्लांटेशन सोसाइटी के 2017 के आंकड़े बताते हैं कि किडनी ट्रांसप्लांट कराने वाले 78.2 प्रतिशत मरीज कम से कम 10 साल तक जीवित रहे. यानी हर 100 लोगों में से 78 मरीजों ने ट्रांसप्लांट के बाद एक दशक से ज्यादा का जीवन जिया. यह किडनी ट्रांसप्लांट की सफलता को स्पष्ट दिखाता है. हालांकि, लंबी उम्र सिर्फ ऑपरेशन पर नहीं टिकी होती. ट्रांसप्लांट के बाद मरीज कितनी ईमानदारी से दवाइयां लेता है, अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखता है और डॉक्टर की सलाह का पालन करता है लंबे समय की सफलता काफी हद तक इसी पर निर्भर करती है.
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद खुद का ख्याल कैसे रखें?
किडनी ट्रांसप्लांट के बाद देखभाल बेहद जरूरी होती है, क्योंकि इसी पर निर्भर करता है कि मरीज कितनी जल्दी अपनी सामान्य जिंदगी में लौट पाएगा और नई किडनी कितने समय तक अच्छी तरह काम करेगी. कुछ बातें ऐसी हैं जिन्हें रोजमर्रा की आदत बनाना बहुत जरूरी होता है.
दवाइयों का सही इस्तेमाल
ट्रांसप्लांट के बाद शरीर नई किडनी को अस्वीकार न करे, इसके लिए इम्यूनोसप्रेसेंट दवाइयां लेनी पड़ती हैं. ये दवाएं शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को थोड़ा कमजोर कर देती हैं, इस वजह से संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. इसलिए बीमार लोगों के संपर्क से बचना, भीड़भाड़ से दूरी रखना और दवाइयां समय पर लेना बेहद जरूरी है.
नियमित जांच और डॉक्टर की फॉलो-अप
डॉक्टर द्वारा तय की गई हर अपॉइंटमेंट पर जाना अनिवार्य है. अगर तेज बुखार, सर्दी-जुकाम जैसा महसूस होना, पेशाब में बदलाव, टांकों वाली जगह पर दर्द या सूजन, घाव से पस जैसा रिसाव, सांस लेने में तकलीफ, दस्त, या नई किडनी के आसपास किसी तरह की अजीब दर्द महसूस हो, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए. इस तरह के लक्षण शुरुआती चेतावनी हो सकते हैं.
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Disclaimer: यह जानकारी रिसर्च स्टडीज और विशेषज्ञों की राय पर आधारित है. इसे मेडिकल सलाह का विकल्प न मानें. किसी भी नई गतिविधि या व्यायाम को अपनाने से पहले अपने डॉक्टर या संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.