ग्लोबल ब्रोकरेज हाऊस, क्रेडिट सूईस की रिपोर्ट सुकून देनी वाली है .. कोविड महामारी से जूझ रही भारत की जनता के लिए ये एक अच्छी खबर है जिसमें अनुमान लगाया गया है कि हमारा देश की लगभग आबादी में इस बीमारी से लड़ने वाली एंटीबॉडीज़ बन गई है .. संस्था के उच्च अधिकारी नीलकंठ मिश्रा के मुताबिक भारत के कई जिलों में तो कोविड के खिलाफ हर्ड इम्युनिटि भी बन जाने के संकेत मिले है.


सीरो सर्वे से ही मिलेगी सटीक जानकारी


हालांकि संकेत यही आ रहे हैं कि देश में कोरोना के खिलाफ चल रहे अभियान से इसे फैलने से रोकने में मदद मिल रही है लेकिन फिर भी नीलकंठ मिश्रा मानते है कि हर्ड इम्यूनिटि को लेकर अभी दावे से कुछ नहीं कह सकते क्योंकि इसके लिए सीरो सर्वे के  प्रयोग से ही सटीक नतीजे तक पहुंचा जा सकता है ..


आधी आबादी में एंटीबॉडीज बनने के प्रबल संकेत


नीलंकठ मिश्रा, संस्था क्रेडिट सूइस के एशिया पेसिफिक स्ट्रेटिजी एंड इक्विटी इंडिया स्ट्रेटिजिस्ट के को-हेड हैं और उनका कहना है कि कंपनी की गणना के मुताबिक भारत में तकरीबन 77 करोड़ नागरिको में कोविड के खिलाफ एंडीबाडीज होने का संकेत है और ये भारत की लगभग आधी आबादी के बराबर है.


कोविड में कमी से अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी


मिश्रा ने ये भी कहा कि इसका सीधा असर देश की जीडीपी पर पड़ेगा क्योंकि कोविड केसेज में कमी और एंटीबॉडी विकसित होने से देश को लॉकडाउन का दंश नहीं झेलना होगा और इससे हमारी जीडीपी में मजबूती के साथ देश की अर्थव्यवस्था के पटरी पर लौटने में मदद मिलेगी. मिश्रा ने उम्मीद जताई कि जिस तरह अब कोविड मरीज़ों की संख्या में कमी आ रही है उससे लॉकडाउन तेजी से खोलने में मदद मिलेगी और इसका फायदा देश की जीडीपी पर दिखाई देगा. लेकिन मिश्रा ने जोर देकर कर कहा कि “वास्तव में अभी ये एक अनुमान ही है. इसका सही आंकलन अगला सबसे महत्वपूर्ण कदम है. इसिलिए हम इस रिपोर्ट से संबंधित देशव्यापी सीरोप्रिवेलेंस स्टडी रिकमंड करते हैं.”


दूसरी लहर में ज्यादा टेस्ट से मिले सही परिणाम


मिश्रा ने कहा कि कोविड की पहली लहर की तुलना में दूसरी लहर में ज्यादा अनुपात में पाजिटिव टेस्ट हुए. इससे पता चलता है कि इस बार मनुष्य के शरीर में बनने वाली एंटीबॉडी बनने की प्रक्रिया पिछले लहर से तो ज्यादा है.