Persistent Mullerian Duct Syndrome: दुनिया के अलग-अलग हिस्सों कोई न कोई अजूबा होता रहता है. हालांकि कुछ मामले ऐसे होते हैं, जिनपर यकीन करना मुश्किल हो जाता है. क्या आपने कभी ऐसे शख्स के बारे में सुना है, जिसके पास मेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन के साथ-साथ 'फीमेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन' भी हो? बेशक आप सोच रहे होंगे कि ये कैसी बचकानी बात है. मगर यह कोई मजाक नहीं है. राजधानी दिल्ली से सटे फरीदाबाद में ऐसा अचंभित कर देने वाला मामला देखा गया है. 


दरअसल, उत्तर प्रदेश के फरीदाबाद के रहने वाले 30 साल के एक पुरुष में मेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन के साथ-साथ फीमेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन भी पाया गया है. इस पुरुष का जन्म ही दोनों प्रजनन अंगों के साथ हुआ था. जानकारी के मुताबिक, इस शख्स की 5 साल पहले शादी हुई थी. दोनों पति-पत्नी को एक बच्चे की ख्वाहिश थी. हालांकि लाख कोशिशों के बावजूद उनकी ये ख्वाहिश पूरी न हो सकी. दोनों को लगा कि शायद किसी शारीरिक दिक्कत की वजह ऐसा हो रहा हो. इसलिए उन्होंने हल ढूंढने के लिए फरीदाबाद के अमृता अस्पताल का रुख किया.


सच्चाई सुनकर उड़ गए होश


अस्पताल पहुंचने के बाद उन्हें एक ऐसी बात मालूम चली, जिसे सुनकर उनके होश उड़ गए. दरअसल डॉक्टरों ने बताया कि शख्स पर्सिस्टेंट म्यूलेरियन डक्ट सिंड्रोम (पीएमडीएस) से पीड़ित है. ये सेक्शुअल डेवलपमेंट का एक जेनेटिक डिसऑर्डर है, जो पुरुषों को प्रभावित करता है. इस डिसऑर्डर से पीड़ित व्यक्ति में मेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन के साथ-साथ फीमेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन भी होते हैं. ऐसा इसलिए होता है क्योंकि प्रेगनेंसी के दौरान बन रही गोनाडल (हार्मोन तैयार करने वाली ग्रंथियां) स्ट्रक्चर को डिफ्केटिव डेवलपमेंट से गुजरना पड़ता है.


दुनिया भर में देखे गए अब तक 300 केस 


यूटरस, फैलोपियन ट्यूब और कभी-कभी ओवरीज़ जैसे फीमेल पार्ट्स गायब होने की बजाय एक मेल चाइल्ड में डेवलप हो जाती हैं और बड़े होने तक बनी रहती हैं. दुनियाभर में पर्सिस्टेंट म्यूलेरियन डक्ट सिंड्रोम के अब तक 300 के करीब मामले देखे गए हैं. फरीदाबाद अस्पताल के डॉक्टरों ने फीमेल रिप्रोडक्टिव ऑर्गन निकालने के लिए शख्स की रोबोटिक सर्जरी की. रोबोटिक सर्जरी के माध्यम से व्यक्ति से यूटरस, फैलोपियन ट्यूब, राउंड लिगामेंट और गोनाड जैसे एब्नार्मल फीमेल पार्ट्स को सक्सेसफुली रिमूव कर दिया गया. बताया गया कि शख्स जन्म से ही इस डिसऑर्डर से पीड़ित था. अगर इस डिसऑर्डर के बारे में देरी से पता चले तो मरीज को कैंसर जैसी जानलेवा बीमारी का खतरा भी पैदा हो सकता है.  


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