Benefits of Giloy: हाल ही में हुए एक वैज्ञानिक अध्ययन ने इस बात की पुष्टि की है कि गिलोय (Tinospora cordifolia) को तोड़ने (हार्वेस्ट करने) का सबसे सही समय मानसून यानी बरसात का मौसम होता है. 'बीएमसी प्लांट बायोलॉजी' में प्रकाशित इस रिसर्च के अनुसार, बारिश के दिनों में गिलोय के तने में औषधीय तत्व अपनी चरम सीमा पर होते हैं. यह अध्ययन पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन के आचार्य बालकृष्ण और उनकी टीम द्वारा किया गया है, जिसने आयुर्वेद के सदियों पुराने ज्ञान पर विज्ञान की मुहर लगा दी है.

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क्या कहती है रिसर्च?

हरिद्वार स्थित पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन के वैज्ञानिकों ने 2022 से 2024 तक लगातार 24 महीनों तक गिलोय के पौधों पर शोध किया. उन्होंने हर दूसरे महीने गिलोय के तने के नमूने इकट्ठे किए और आधुनिक तकनीकों (UHPLC-PDA और HPTLC) का उपयोग करके उनकी जांच की. जांच में सामने आया कि गिलोय के तीन प्रमुख बायोएक्टिव कंपाउंड्स - कोर्डिफोलियोसाइड ए, मैग्नोफ्लोरिन और बीटा-एकडायसोन (β-ecdysone) की मात्रा अगस्त महीने में सबसे अधिक पाई गई.

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गिलोय का उपयोग

सर्दि‍यों में घट जाते हैं गुण अध्ययन में यह भी देखा गया कि सर्दियों के मौसम, विशेषकर दिसंबर से फरवरी के बीच, गिलोय में इन लाभकारी तत्वों की मात्रा सबसे कम हो जाती है. वहीं, वसंत और गर्मियों में यह मात्रा मध्यम स्तर पर रहती है. यह निष्कर्ष इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि गिलोय का उपयोग बुखार, इम्यूनिटी बढ़ाने और सूजन कम करने जैसी कई बीमारियों में किया जाता है. अगर इसे सही मौसम में तोड़ा जाए तो इससे बनने वाली दवाइयां ज्यादा असरदार साबित होंगी.

आयुर्वेद और विज्ञान का मेल

आयुर्वेद और विज्ञान का मेल आयुर्वेद में हमेशा से यह माना जाता रहा है कि जड़ी-बूटियों को तोड़ने का एक निश्चित समय होता है. प्राचीन ग्रंथों में तने वाली औषधियों को वर्षा ऋतु या वसंत में इकट्ठा करने की सलाह दी गई है. इस नई वैज्ञानिक रिसर्च ने पारंपरिक भारतीय ज्ञान को सही साबित किया है. वैज्ञानिकों का कहना है कि मानसून के दौरान बारिश और तापमान पौधों के 'डिफेंस मैकेनिज्म' को सक्रिय कर देते हैं, जिससे उनमें औषधीय तत्वों का निर्माण बढ़ जाता है.

यह रिसर्च न केवल दवा बनाने वाली कंपनियों के लिए बल्कि आम लोगों के लिए भी फायदेमंद है, जो गिलोय का इस्तेमाल घरेलू नुस्खों के तौर पर करते हैं.