Schizophrenia : सिजोफ्रेनिया एक तरह का मेंटल डिसऑर्डर होता है, जिससे पीड़ित व्यक्ति को कामकाज में परेशानियों का सामना करना पड़ता है. वैसे तो यह डिसऑर्डर काफी कम पाया जाता है लेकिन बेहद गंभीर है. दुनियाभर में 20 लाख लोग इसकी चपेट में हैं. इनमें ज्यादातर मरीज टीनएजर हैं. सिजोफ्रेनिया (Schizophrenia) एक ग्रीक शब्द है, जिसका अर्थ स्प्लिट माइंड है. इसमें दिमाग हमेशा भ्रमित रहता है. इसकी वजह से सामाजिक दूरी बनती है और लोगों से मिलने में भी समस्या होती है. आइए जानते हैं सिजोफ्रेनिया के बारें में सबकुछ...

 

सिजोफ्रेनिया में क्या दिक्कतें आती हैं

अगर किसी टीनएजर में सिजोफ्रेनिया डिसऑर्डर आता है तो उसे पकड़ पाना बेहद मुश्किल होता है, क्योंकि इस डिसऑर्डर की पहचान आसान नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि कई बार उसके गलत व्यवहार को उसका स्वभाव मानकर इग्रोन कर दिया जाता है. इसकी वजह से इससे पीड़ित लड़के-लड़कियां समाज से कटने लगते हैं और उनका व्यवहार दूसरों के प्रति बदलने लगता है. छोटी-छोटी बातों पर भी वे खुद को अनसेफ महसूस करने लगते हैं, इसलिए ज्यादातर वक्त अकेले ही बिताना पसंद करते हैं.

 

सिजोफ्रेनिया का कारण (Schizophrenia Causes)

ड्रग्स, अल्कोहल लेना

बहुत ज्यादा स्ट्रेस लेना

अनुवांशिक कारण

दिमाग से जुड़ी कोई पुरानी बीमारी

 

सिजोफ्रेनिया के लक्षण (Schizophrenia Symptoms)


  • अकेले में रहना

  • लोगों से बचकर रहना

  • भीड़-भाड़ वाली जगह जाने से बचना

  • हमेशा भ्रम में रहना

  • अजीब सा महसूस करना

  • सिचुएशन के हिसाब से इमोशन न रख पाना

  • जीवन के प्रति निराश रहना

  • भूख के पैटर्न में बदलाव आना

  • चेहरा मुरझाए रहना

  • वजन कम करना

  • सही तरह से काम न कर पाना


 

सिजोफ्रेनिया का इलाज

सिजोफ्रेनिया डिसऑर्डर का कोई सटीक टेस्ट उपलब्ध नहीं है. इसलिए डॉक्टर मेडिकल केस हिस्ट्री, मानसिक स्थिति, सामाजिक फैक्टर और लक्षणों के हिसाब से इसका इलाज करते हैं. मेडिटेशन, योग, करीबियों से सहयोग, थेरेपी, दवाईयों से इसे कंट्रोल किया जा सकता है. नशे से भी दूर रहना चाहिए.

 

Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें.

 

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