Leprosy Eradication Symptoms: कभी एक समय था जब कुष्ठ रोग को सामाजिक कलंक समझा जाता था. लोग इससे पीड़ित मरीजों से दूर भागते थे, उन्हें समाज से अलग कर दिया जाता था. लेकिन आज मेडिकल साइंस ने इतना विकास कर लिया है कि, ये बीमारी अब पूरी तरह से ठीक हो सकती है. बस जरूरत है समय पर पहचान और इलाज की. इसी दिशा में एक बड़ी पहल करते हुए महाराष्ट्र सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने राज्य में लेप्रसी यानी कुष्ठ रोग को खत्म करने के लिए पहल की है.

सरकार बनाएगी राज्य स्तरीय समिति

स्वास्थ्य मंत्री प्रकाश आबिटकर ने बताया कि, लेप्रसी को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए एक राज्य-स्तरीय समिति बनाई जाएगी. इस समिति में विशेषज्ञ, डॉक्टर, गैर-सरकारी संगठनों के प्रतिनिधि और कुष्ठ रोग के क्षेत्र में काम कर रहे लोग शामिल होंगे. इस समिति का काम हर तीन महीने में रिपोर्ट तैयार कर सरकार को सौंपना होगा. इन रिपोर्ट्स के आधार पर नई योजनाएं बनेंगी और लेप्रसी उन्मूलन कार्यक्रम को जमीन पर लागू किया जाएगा.

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सब्सिडी बढ़ाने का प्रस्ताव तैयार किया जाएगा

स्वास्थ्य मंत्री ने बताया कि सार्वजनिक स्वास्थ्य विभाग ने एक प्रस्ताव तैयार किया है, जिसमें अस्पतालों और कुछ केंद्रों के लिए सब्सिडीे जरिए 6,000 रुपये का एक बेड करने की मांग की गई है. यह प्रस्ताव वित्त विभाग को भेजा गया है और जल्द ही राज्य कैबिनेट से मंजूरी ली जाएगी.

कुष्ठ रोग के लक्षण

  • त्वचा पर हल्के रंग के धब्बे, जिनमें संवेदना कम हो जाती ह
  • हाथ-पैर में सुन्नपन या झनझनाहट
  • मांसपेशियों की कमजोरी
  • आंखों की समस्या, जिससे दृष्टि कमजोर हो सकती है
  • पैरों और हाथों में घाव, जो जल्दी ठीक नहीं होते

तीन चीजों पर होगा फोकस

  • हर विभाग को लेप्रसी उन्मूलन के लिए तीन प्रमुख स्तंभों पर ध्यान देना होगा
  • बीमारी की समय पर पहचान करना
  • प्रभावी इलाज की सुविधा जल्द से जल्द देना
  • समाज में पुनर्वास और बीमारी का खात्मा करना

महाराष्ट्र सरकार की यह पहल कुष्ठ रोग के मरीजों को समाज की मुख्यधारा में लाने का एक सशक्त प्रयास है. इलाज, जागरूकता और पुनर्वास के ज़रिए यह बीमारी न सिर्फ जड़ से खत्म की जा सकती है, बल्कि इससे जुड़े सामाजिक भेदभाव को भी समाप्त किया जा सकता है. उम्मीद की जानी चाहिए कि, यह कदम देशभर के लिए एक मिसाल बनेगा.

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Disclaimer: खबर में दी गई कुछ जानकारी मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित है. आप किसी भी सुझाव को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.