Type 1 diabetes patient in India: शुगर वैसे तो खराब जीवन शैली से जुड़ा रोग है. जेनेटिक होने के कारण भी यह रोग पीढ़ी दर पीढ़ी चला आ रहा है. डॉक्टर सलाह देते हैं कि शुगर के लिए लाइफ स्टाइल सही करें. खानपान बेहतर करें. यदि शुगर के कोई लक्षण दिख रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. इतनी अवेयरनेस के बावजूद भारत में टाइप 1 डाइबिटीज के आंकड़े परेशान करने वाले हैं. लांसेट जर्नल में छपी रिपोर्ट के मुताबिक देश की एक बड़ी पापुलेशन शुगर की चपेट में आ चुकी है.


हर छठे रोगी की बिना जांच हो रही मौत


द लैंसेट डाइबिटीज एंड इंडोक्रिनोलॉजी में छपी रिपोर्ट के अनुसार देश में 8.6 लाख लोग type 1 diabetes से पीड़ित हैं. इससे ज्यादा चिंतावाली बात यह है कि इन 6 में से एक शख्स की बिना जांच कराए ही मौत हो रही है. 2040 तक ये आंकड़े और तेजी से बढ़ सकते हैं. यदि विश्व की बात करें तो वर्ष 2021 तक टाइप वन डाइबिटीज रोगियों की संख्या 8.4 मिलियन (84 लाख) है. 2040 तक यह आंकड़ा भी 13.5 मिलियन से 17.4 मिलियन (पौने दो करोड़) तक पहुंच जाएगा. 


इन देशों में अधिक बढ़े पेशेंट्स


लैंसेट ने अलग-अलग देशों में भी टाइप 1 डाइबिटीज रोगियों की संख्या दर्ज की है. 10 देश ऐसे सामने आए हैं, जिनमें कुल मरीजों का 60 प्रतिशत डायबिटीज के हैं. यह संख्या में 5.08 मिलियन है. दस देशों की बात करें तो अमेरिका, भारत, ब्राजील, चीन, जर्मनी, यूके, रशिया, कनाडा, सऊदी अरब, स्पेन शामिल हैं.


पेशेंट्स को इन्सुलिन मिले तो बंधे जीवन की आस


रिसर्च में इस बात पर चिंता जताई गई है कि भारत में लोगों को डाइबिटीज से बचाव के लिए इन्सुलिन ही नहीं मिल रही है. रिसर्च से जुड़ी प्रियंका राय ने बताया कि यदि भारत में यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि हर टाइप 1 डाइबिटीज रोगी को इंसुलिन मिल जाएगी, उन्हें जांच करने की स्ट्रिप और मशीन मिलेगी. यदि यह भारत 2023 तक पूरा कर लेता है तो आधा मिलियन से अधिक टाइप 1 डाइबिटीज पेशेंट्स की लाइफ एक्सपेक्टेंसी बढ़ जाएगी.

क्या है टाइप 1 डाइबिटीज


डॉक्टर्स के मुताबिक, टाइप 1 डाइबिटीज एक ऑटोइम्यून डिजीज है. यह शरीर मे पैंक्रिएटिक बीटा सेल्स को टारगेट करता है. इसी कारण जीवन भर शरीर में इंसुलिन की कमी बनी रहती है. जिंदा रहने के लिए जीवनभर रोगी को इंसुलिन दिया जाता है.





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