Health Tips: फिट रहने के लिए हमेशा से ही  नियमित रूप से व्यायाम करने और स्वस्थ आहार लेने के रूप में माना जाता है. किसी न किसी तरह ये कुछ हद तक सही है, लेकिन हमेशा ऐसा नहीं होता है. लोगों को ये एहसास नहीं है कि जब शारीरिक और मानसिक कल्याण की बात आती है तो नींद भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, ये एक रिस्टोर वाली प्रक्रिया है, जिस पर कोई समझौता नहीं होना चाहिए.


काम के व्यस्त घंटे, बढ़ते तनाव के स्तर और एक अनहेल्दी जीवनशैली, अनियमित नींद के पैटर्न का कारण बन सकती है. यह न केवल आपके दैनिक दिनचर्या को परेशान करता है बल्कि आपके स्वास्थ्य को भी बाधित कर सकता है जिससे कोलेस्ट्रॉल औऱ मधुमेह जैसी समस्या को बढ़ावा मिलता हैतो, आइए जानें कि नींद कोलेस्ट्रॉल और मधुमेह के स्तर को कैसे प्रभावित करती है.


सोते समय क्या होता है


नींद आपके शरीर और दिमाग की मरम्मत और खुद को रिचार्ज करने में मदद करती है. नींद के दौरान मेलाटोनिन नामक एक हार्मोन की रिहाई आपके शरीर को आराम देती है, जिससे रक्तचाप और हृदय गति में थोड़ी गिरावट आती है, लेकिन अगर आप नींद से वंचित हैं या सर्केडियन रिदम बाधित है तो चीजें बदल सकती हैं। अनिद्रा से आपका  शरीर असामान्य रूप से काम कर सकती है. ये आपके शरीर को अगले दिन के लिए तैयार करने की आपकी मानसिक और शारीरिक क्षमताओं को प्रभावित करता है. यह आपके मस्तिष्क को थका देता है, जिससे शरीर की प्राकृतिक कार्यप्रणाली प्रभावित होती है.


नींद की कमी और कोलेस्ट्रॉल के बीच संबंध


नींद की कमी से उच्च कोलेस्ट्रॉल और रक्तचाप हो सकता है. 2009 के एक अध्ययन में, जिसे "इशु ऑफ स्लीप" कहा जाता है, इसमें पाया गया कि जो पुरुष छह घंटे से कम सोते थे, उनमें एलडीएल कोलेस्ट्रॉल अधिक था. इसके अतिरिक्त, जो महिलाएं लगभग समान मात्रा में सोती हैं उनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर कम होता है. अब, यह भी दर्शाता है कि नींद पुरुषों और महिलाओं को अलग तरह से प्रभावित करती है। नींद की कमी लेप्टिन के स्तर को कम कर सकती है, एक हार्मोन जो मेटाबॉलिज्म और भूख को स्थिर करता है. इसमें कोई संदेह नहीं है कि जो लोग मोटे होते हैं उनमें कोलेस्ट्रॉल का स्तर अक्सर अधिक होता है. 2020 में भी, इंस्टीट्यूट ऑफ मिलिट्री कॉग्निटिव एंड ब्रेन साइंसेज, एकेडमी ऑफ मिलिट्री मेडिकल साइंसेज, बीजिंग के एक शोध से पता चला है कि नींद की कमी ने सीरम कोलेस्ट्रॉल के स्तर को बढ़ा दिया और लीवर में कोलेस्ट्रॉल के ढेर को बढ़ावा दिया.


मधुमेह और नींद की कमी


सेंटर्स फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के अनुसार, अनियमित नींद पैटर्न होने से आपके शरीर में इंसुलिन प्रतिरोध बढ़ सकता है. डायबिटीज केयर में 2009 की एक रिपोर्ट में पाया गया कि लगातार अनिद्रा वाले लोगों में टाइप 2 मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है.  इसी तरह, रात में बार-बार पेशाब आने के कारण मधुमेह वाले लोग अक्सर नींद से वंचित रह जाते हैं. यहां तक ​​कि अगर आपको प्रीडायबिटीज है, तो खराब नींद के पैटर्न आपके ग्लूकोज इंटॉलरन्स को और खराब कर देंगे.


यहां बताया गया है कि आप अपने स्लीपिंग पैटर्न को कैसे सुधार सकते हैं और अच्छी नींद ले सकते हैं


स्लीपिंग शेड्यूल सेट करें: किसी भी अन्य रूटीन की तरह, सोने का एक निश्चित पैटर्न होने से आपको अपने आराम और गतिविधि के चक्र को बनाए रखने में मदद मिल सकती है. हर दिन एक ही समय पर सोना और समय पर जागना आपको अच्छी नींद लेने में मदद करेगा.


सोने से पहले आराम करें: सोने से पहले शरीर और दिमाग का उचित विश्राम आपको एक बच्चे की तरह सुला सकता है. इसके लिए आपको अपने फोन को सोने से कम से कम आधे घंटे पहले अलग रखना होगा.सुनिश्चित करें कि आपका कमरा अंधेरा और शांत है. साथ ही, आप हमेशा एक अच्छी किताब पढ़ सकते हैं या सूदिंग सॉन्ग सुन सकते हैं जो आपको गहरी नींद के लिए तैयार कर सकता है.


स्वस्थ आहार और व्यायाम ही कुंजी हैं: सोने की रूटीन के साथ-साथ उचित भोजन और नियमित व्यायाम से आपको अधिक आसानी से और शांति से नींद आएगी. सोने से चार घंटे पहले पौष्टिक और हल्का भोजन करें. 20-30 मिनट तक एक्सरसाइज करना जरूरी है।


Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों को केवल सुझाव के रूप में लें, एबीपी न्यूज़ इनकी पुष्टि नहीं करता है. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट और सुझाव पर अमल करने से पहले डॉक्टर या संबंधित एक्सपर्ट की सलाह जरूर लें. 


यह भी पढ़ें: बाल झड़ने की समस्या से परेशान हैं तो सर्दियों में रोज पिएं ये ABC जूस... ना झड़ेंगे और ना टूटेंगे आपके बाल