नई दिल्ली: भारत में सामाजिक डर की समस्या आम होती जा रही है. लॉकडाउन में सामाजिक डर की मनोवैज्ञानिक समस्या है तो परेशान होने की जरूरत नहीं है. हम आपको बताएंगे ये क्या होता है, कैसे होता है और इससे कैसे छुटकारा पाया जा सकता है.
क्या होते हैं सामाजिक डर के लक्षण?
सामाजिक डर के लक्षणों में हम भीड़ से कतराते हैं, नए लोगों से बात करना पसंद नहीं होता, अंजान लोगों से डर लगता है, आलोचना से डरते हैं, प्रभावी लोगों से दूरी बनाते हैं, बात करने में हिचकिचाते हैं, किसी से आंख नहीं मिला पाते, अति संवेदनशील हैं, आत्म सम्मान की कमी है, बेवजह चिंता करते हैं, मजाक बनने का डर हमेशा सताता है, दुविधा में पड़ जाते हैं, पेट में दर्द रहता, हाथ ठंडे पड़ जाते हैं, मुंह और गला सूखता है, मांसपेशियों में खिंचाव रहता है, शरीर में कंपन महसूस होती है.
अगर आपके भीतर इस तरह के लक्षण हैं तो आप सामाजिक डर के शिकार हैं, लेकिन अचानक आपके अंदर ये सामाजिक डर क्यों पैदा हो गया है. सबसे पहले ये समझना होगा लॉकडाउन में सामाजिक डर की मनोवैज्ञानिक समस्या से कैसे छुटकारा पाया जाए और सामाजिक डर के पनपने के कारण क्या कारण हैं.
सामाजिक डर कई तरह का हो सकता है. जो लोगों में देखने को मिल रहा है. जैसे भविष्य और रिश्तेदारों को लेकर चिंता. अगर मां-बाप बाहर रहते हैं तो उनको लेकर चिंता. दिमाग को ये बहुत सारे डर से भरे सिग्नल मिल रहे हैं ये एक बहुत बड़ा कारण हो सकता है किसी के भीतर डर की प्रवृति बढ़ने का.
क्या है इसका समाधान
सामाजिक डर क्यों पैदा होता है ये समझने के बाद अब ये जानने की जरूरत है कि इसका मनोवैज्ञानिक समाधान क्या है. इसके लिए डॉक्टर मनीषा सिंघल कहती हैं, अभी हम लॉकडाउन पीरियड में हैं, काम ऑनलाइन है. लेकिन एक मौका आएगा जब सबकुछ वापस से नॉर्मल हो जाएगा. तब ऐसा ना हो कि आप इस टाइम के लिए पछताएं, सोचें कि इस समय का हम अच्छे से इस्तेमाल कर सकते थे. छुट्टी की तरह इस्तेमाल कर सकते थे. रचनात्मक और सकारात्मक रूप से. मुझे लगता है हमें अभी के वक्त को जीना चाहिए, साथ ही हमें प्लान बी भी सोच कर रखना चाहिए.
सामाजिक डर से ऐसे पाएं छुटकारा
सामाजिक डर आपके दिमाग में घर कर लेता है तो उस डर को दिमाग से निकालना बेहद जरूरी हो जाता है. इस डर को दूर करने का डॉ नवदीप कुमार तरीका बताया. उन्होंने कहा, "सोने का समय बहुत जरूरी है. हमारे दिमाग से कुछ स्लीप हार्मोन्स निकलते हैं, कुछ वेक हार्मोन्स निकलते हैं. स्लीप हार्मोन्स रात 11 बजे से निकलना शुरू होता है और सुबह 6 बजे तक बंद हो जाता है. अगर आप इस समय के हिसाब से सोएंगे तो चिंता या पैनिक अटैक्स कम हो जाएंगे." सामाजिक डर से छुटकारा पाना है तो समय पर सोएं, ज्यादा चिंता ना करें, मन को शांत रखें, व्यायाम करें, आज में जिएं, रचनात्मक बनें और सकारात्मक रहें.