Contact Lens Vs Eye Glasses: आंखें आपकी खूबसूरती बयां करती हैं. इसलिए इनका ख्याल रखना बेहद जरूरी होता है. कई बार जब ठीक से दिखाई नहीं देती तो चश्‍मा लगाकर उसे सही कराया जाता है. पिछले कुछ वक्त में चश्‍मे की बजाय लोग अपनी आंखों में कॉन्‍टेक्‍ट लेंस लगवाने लगे हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, देश में 2019 से 2025 तक कॉन्‍टेक्‍ट लेंसेंज का कंपाउंड एनुअल ग्रोथ रेट 7.5 प्रतिशत तक बढ़ सकता है. लेकि हाल ही में अमेरिका के फ्लोरिडा से लेंस पहनने से आंख की रोशनी जाने का मामला सामने आने के बाद लेंस को लेकर लोग डर गए हैं. सवाल उठने लगा है कि आंखों के लिए चश्‍मा या कॉन्‍टेक्‍ट लेंस (Contact Lens Vs Eye Glasses), दोनों में से क्या ज्यादा फायदेमंद है? 

 

क्या कहते हैं Eye Specialist

नेत्र विशेषज्ञ के मुताबिक, चश्‍मा हो या कॉन्‍टेक्‍ट लेंस, दोनों आंखों के लिए सही होती है. हालांकि उनका इस्तेमाल अलग-अलग परिस्थितियों में किया जाता है. कुछ मरीजों के लिए चश्‍मा ज्‍यादा बेहतर माना जाता है और कुछ की आंखें लेंस के हिसाब से होती हैं. चश्मा और कॉन्टैक्ट लेंस दोनों के ही अपने-अपने फायदे और नुकसान होते हैं। फिर भी ऑप्‍थेल्‍मोलॉजिस्‍ट के लिए चश्‍मा लगाना कॉन्‍टेक्‍ट लेंस लगाने से ज्‍यादा अच्छा और आंखों के लिए बेहतर माना जाता है.

 

आंखों के लिए क्या चश्‍मा बेस्ट है

Eye Specialist के मुताबिक, ऑप्‍थेल्‍मोलॉजिस्‍ट मरीजों को कॉन्‍टेक्‍ट लेंस की बजाय चश्मा लगाना चाहिए. चश्‍मे को लगाना और निकालना काफी आसान होता है. इसके लिए ज्यादा तामझाम भी नहीं करना पड़ता है. आंखों के ऊपर होने से इससे अंदरूनी हिस्‍से नहीं छूने पाते और आंख इंफेक्शन से दूर रहता है. चश्मे को आप जितनी देर चाहें पहन सकते हैं, इसको लेकर ज्यादा सावधानी की जरूरत भी नहीं होती है. यही वजह है कि बच्चे हो या बुजुर्ग हर उम्र के लोगों के लिए चश्मा ही ज्यादा बेहतर होता है.

 

कॉन्‍टेक्‍ट लेंस के क्या नुकसान हैं

नेत्र विशेषज्ञ बताते हैं कि कॉन्‍टेक्‍ट लेंस ज्यादा से ज्यादा 8 से 10 घंटे ही यूज करना चाहिए. अगर आप इसे ज्यादा देर तक पहनते हैं और इसकी साफ-सफाई पर ध्यान नहीं देते हैं तो यह आंखों को नुकसान पहुंचा सकता है. चूंकि यह आंख के अंदर कॉर्निया पर लगता है, ऐसे में अगर हाईजीन नहीं रख पाते हैं तो खतरनाक बैक्‍टीरिया पनप सकते हैं और इससे आंख की रोशनी भी जा सकती है. कुछ लोग 24-24 घंटे तक लेंस लगाए रखते हैं, उनकी आंखों में हाइपोक्सिया मतलब ऑक्‍सीजन की कमी हो जाती है. कॉर्निया का एपीथिलिया की सेहत भी बिगड़ सकती है. इससे आंख में डिफेक्‍ट भी आ सकता है. आंख के आसपास मौजूद कीटाणु कॉर्निया को नुकसान पहुंचा सकते हैं. कई बार तो ऐसा भी होता है, जब कॉन्‍टेक्‍ट लेंस संक्रमित हो जाता है या उनका सॉल्‍यूशन कंटामिनेटेड हो जाता है तो उनकी पुतली भी संक्रमित हो सकती है.

 

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