हाई ब्लड प्रेशर दुनिया भर की एक प्रमुख स्वास्थ्य समस्या है. पैदा होने के साथ बच्चे का ब्लड प्रेशर की सीमा सबसे कम 80-90 होती है. उम्र बढ़ने पर सीमा 180-200 तक भी पहुंच जाती है. ये स्वाभाविक प्रक्रिया है. 50 साल की उम्र में हर पांच में से एक व्यक्ति को हाई ब्लड प्रेशर से जूझना पड़ता है. 60-70 साल में हर तीसरे में से एक शख्स बीमारी से ग्रसित हो जाता है.


आसानी से समझिए ब्लड प्रेशर से जुड़ी अहम जानकारी


हाई ब्लड प्रेशर से दिल की बीमारी, किडनी रोग, लकवे, हाथ और पैर की नसों में रुकावट होने का खतरा रहता है. बीमारियों से बचने के लिए जरूरी है कि ब्लड प्रेशर की जांच कराएं और ज्यादा होने पर डॉक्टर से संपर्क करें. किसी भी उम्र में सामान्य ब्लड प्रेशर 130-80 से कम या 120-80 होना चाहिए. ब्लड प्रेशर बढ़ने के लक्षणों में सिर का भारी होना, चक्कर आना, सांस फूलने की समस्या डॉक्टर से मिलने को मजबूर कर सकती है. हाई ब्लड प्रेशर को 'साइलेंट किलर' भी कहा जाता है.


कई बार रूटीन चेकअप के लिए जाने पर पता चलता है कि ब्लड प्रेशर सामान्य से ज्यादा है. इस दौरान ब्लड प्रेशर आपकी किडनी, हर्ट और दिमाग को आहिस्ता-आहिस्ता नुकसान पहुंचाता रहता है. ब्लड प्रेशर की पहचान के लिए प्रारंभिक जांच जैसे, हिमेग्लोबिन, किडनी की जांच में पोटैशियम और यूरिया की मात्रा का पता लगाया जाता है. 40 साल की उम्र के हाई ब्लड मरीज को डॉक्टर शुगर, कोलेस्ट्रोल जांच की सलाह देते हैं. ब्लड प्रेशर बढ़ने का 95 फीसद कारण बढ़ती उम्र और गलत जीवनशैली है. आम तौर पर इस स्थिति में दवाइयों से ब्लड प्रेशर को कंट्रोल किया जाता है.


विशेषज्ञों ने जीवन शैली में बदलाव को बताया जरूरी


30 साल की आयु के दौरान 5 फीसद लोगों में ब्लड प्रेशर हाई होने के द्वितीय कारण जैसे किडनी, नस, ब्रेन विकार या हार्मोनल बदलाव भी हो सकते हैं. 5 फीसद लोगों को विशेषज्ञ स्थिति को देखते हुए अलग तरह की जांच कराने का सुझाव देते हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि न सिर्फ किडनी की बीमारी से हाई ब्लड प्रेशर हो सकता है बल्कि हाई ब्लड प्रेशर के कारण भी किडनी का रोग होने का खतरा रहता है.


ऐसे लोगों का पेशाब कम आना, पैरों, आंखों में सूजन आने की शिकायत हो सकती है. कभी-कभी हाथ-पैरों की धमनियों के संकुचित हो जाने से भी चलने पर दर्द, थकान का सामना करना पड़ सकता है. हाई ब्लड प्रेशर की बीमारी जीवन शैली से जुड़ा विकार है. 95 फीसद लोगों में इसका कोई कारण नहीं होता है. गलत जीवन शैली, गलत डाइट, व्यायाम की कमी और बढ़ते वजन से भी ब्लड प्रेशर बढ़ता है. कहा जाता है कि ऐसी स्थिति में जीवन शैली का बदलाव एक दवा के तौर पर काम करता है.


विशेषज्ञों का मानना है कि दवा के इस्तेमाल से पहले जीवन शैली में बदलाव ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में अहम भूमिका निभाता है. जीवन शैली में बदलाव की एक शक्ल वजन में कमी है. 4-5 किलो वजन कम करने से ब्लड प्रेशर की सीमा 20 तक कम हो सकती है. उचित डाइट का सेवन और नियमित व्यायाम से भी आप ब्लड प्रेशर की सीमा 10-15 तक घटा सकते हैं. धूम्रपान या तंबाकू छोड़ने से भी आप ब्लड प्रेशर को 5-7 डिग्री नीचे ला सकते हैं.


Bhojpuri Song: 'देख गारी मत द' सॉन्ग में दिखा खेसारी लाल यादव का अलग अंदाज, यूट्यूब पर मिले 3 करोड़ से ज्यादा व्यूज


न्यूजीलैंड सीरीज से पहले पाक टीम को तगड़ा झटका, स्टार खिलाड़ी में कोरोना के लक्षण मिले