Non Alcoholic Fatty Liver Disease : AIIMS एक चौंकाने वाली रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि करीब 38 प्रतिशत आबादी  नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर (Non Alcoholic Fatty Liver Disease) की शिकार है. ग्लोबल लेवल पर लिवर की बीमारियां तेजी से फैल रही हैं. एक्सपर्ट्स का कहना है कि युवाओं में ये समस्या ज्यादा तेजी से बढ़ रही है, जो काफी चिंताजनक है. कम उम्र में ही लोग लिवर की बीमारी खासतौर पर नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज की चपेट में दिख रहे हैं. युवाओं में बढ़ती इसी गंभीर समस्या को लेकर एम्स की तरफ से एक स्टडी की गई. जिसका रिजल्ट चिंता को बढ़ाने वाला है.

 

क्या है AIIMS की स्टडी

जर्नल ऑफ क्लिनिकल एंड एक्सपेरिमेंटल हेपेटोलॉजी में पब्लिश इस रिपोर्ट में बताया गया है कि युवाओं में ही नहीं ये बीमारी 35 प्रतिशत बच्चों में भी देखी जा रही है. लिवर की इस समस्या से सेहत को कई गंभीर नुकसान हो सकते हैं. इसलिए हर किसी को इससे अलर्ट रहने की जरूरत है.

 

लिवर की ये बीमारी इतनी खतरनाक क्यों

हेल्थ एक्सपर्ट की टीम ने बताया कि  ज्यादातर लोग ऐसे हैं, जिनमें नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर की पहचान समय पर नहीं हो पा रही है. चूंकि इस बीमारी के शुरुआती फेज में किसी तरह के लक्षण नजर हीं आते, जिससे बीमारी का पता ही नहीं चल पाता. इस वजह से ये ज्यादा खतरनाक हो जाती है और कई दूसरी बीमारियों का जोखिम बढ़ा सकती है. 

 

नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर का कारण

हेल्थ एक्पर्ट्स के मुताबिक, खानपान में गड़बड़ी से फैटी लीवर या स्टीटोहेपेटाइटिस की समस्या हो सकती है. जब डाइट खराब होता है और फास्ट फूड का हम ज्यादा सेवन करते हैं और फल-सब्जियां आहार से गायब होने लगती हैं तो इस समस्या का खतरा सबसे ज्यादा रहता है.

 

कितनी खतरनाक है नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर

हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और मेटाबॉलिज्म की तरह ही ये बीमारी भी काफी खतरनाक हो सकती है. सबसे बड़ी चिंता की बात ये है कि अभी हमारे पास फैटी लिवर की समस्या के लिए न कोई विशेष दवा है और ना ही कोई इलाज. बड़ी संख्या में युवा इसकी चपेट में आ रेह हैं. इसका दुष्परिणाम भी सामने आ रहा है.

 

नॉन अल्कोहलिक फैटी लिवर डिजीज से बचने के उपाय

हेल्दी लाइफस्टाइल और हेल्दी खानपान रखें.

शराब का सेवन बिल्कुल भी न करें.

फिजिकल एक्टिविटीज करते रहें. मोटापा न बढ़ने दें.

 

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