एंटीबायोटिक्स किसी बीमारी को काफी हद तक कंट्रोल करने के सबसे प्रभावी तरीकों में से एक हैं. लेकिन एंटीबायोटिक दवाओं का ज्यादा उपयोग और बिना डॉक्टर की सलाह के इस्तेमाल करना खतरनाक हो सकता है. एंटीबायोटिक दवाओं के आसानी से उपलब्ध होने से लोग सिंपल कॉल्ड में भी इसे लेने लगे हैं. अस्पतालों में मानक प्रक्रिया और हाइजीन में कमी ने बैक्टीरिया के एंटीबायोटिक-रेजिस्टेंट को बढ़ावा मिला है.


पॉलीफार्मेसी हमेशा काम नहीं करती
एक बीमारी का इलाज करने के लिए एक से अधिक दवाओं का कॉम्बिनेशन जिसे पॉलीफार्मेसी या कॉम्बिनेशन थैरेपी के रूप में जाना जाता है. यह एचआईवी / एड्स, कैंसर, मलेरिया और तपेदिक के इजाल में कॉमन है. यह एक विशेष रूप से स्टबबॉन इंफेक्शन से लड़ने के लिए एक बहुत प्रभावी तरीका है. ट्विन-ड्रग अटैक से न केवल रोगजनक समाप्त होते हैं बल्कि रेजिस्टेंट के उभरने में भी देरी होती है. लेकिन वैनिलिन ने कई प्रकार के एंटीबायोटिक दवाओं के प्रभाव को कम कर दिया. इसलिए सर्विस प्रोवाइडर्स को पैशेंट्स को एंटीबायोटिक दवाओं का इस्तेमाल करने का निर्णय लेने से पहले इंफॉर्म किया जाना अनिवार्य है.


विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) ने ड्ग्स रेजिस्टेंट बैक्टेरिया की ग्रोथ को कम करने की सिफारिश के लिए कुछ कदम उठाने आवश्यकता बताई है. इनमें कई तरह की चीजें शामिल हैं. इन पर डालते हैं एक नजर


हेल्थ प्रोफेशनल्स के लिए क्या हैं निर्देश


-हेल्थ प्रोफेनल्स अपने हाथों, उपकरणों और पर्यावरण को साफ करके संक्रमण को रोकें और दिशानिर्देशों के अनुसार, आवश्यक होने पर ही एंटीबायोटिक्स दवाएं दें.


-इसके साथ रोगियों बताएं कि एंटीबायोटिक दवाओं को सही तरीके से कैसे लें और एंटीबायोटिक प्रतिरोध और दुरुपयोग के क्या नुकसान हो सकते हैं. पेशेंट्स को
संक्रमण को रोकने के बारे में टीकाकरण, हाथ धोना, सुरक्षित यौन संबंध, और छींक आने पर नाक और मुंह ढंकना आदि के बारे में बताया जाना चाहिए.


पेशेंट और आम लोग क्या करें


सर्टिफाइड हेल्थ प्रोफेशनल के प्रस्क्राइब करने के एंटीबायोटिक्स का इस्तेमाल करें. हमेशा एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करने पर अपने डॉक्टर की सलाह का पालन करें और बची हई एंटीबायोटिक्स को कभी भी किसी को शेयर नहीं करें


-नियमित रूप से हाथ धोने, बीमार लोगों के साथ निकट संपर्क से बचने, सुरक्षित यौन संबंध बनाने और टीकाकरण को नियमित रखने से संक्रमण को रोका जा सकता है.


-खाना पकाते समय स्वच्छता का ध्यान रखें और ऐसे फूड, सब्जियां या डेयरी प्रोडेक्ट का इसतेमाल करें जो एंटीबायोटिक दवाओं के उपयोग के बिना तैयार किए गए हों.


-यदि पशु रखते हैं तो पशुओं का टीकाकरण करें औरखेतों पर जैव विविधता में सुधार और बेहतर स्वच्छता के जरिए से संक्रमण को रोकने में मदद मिलती है.


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